वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज :-बीते कुछ दिनों में हुए अलग अलग राज्यों के चुनावों में प्रियंका गांधी की सक्रियता और उसके बाद आए परिणामों से पार्टी ने उनको लेकर कई बड़ी योजनाएं बनाई हैं। तय योजना के मुताबिक प्रियंका गांधी को अब उन राज्यों में चुनावी कमान देने की तैयारी हो रही है जहां पर पार्टी या तो सत्तापक्ष से मजबूत लड़ाई में है या फिर पार्टी के भीतर प्रियंका गांधी की मेहनत से राज्य में मजबूत जनाधार तैयार किया जा सकेगा। फिलहाल संगठनात्मक स्तर पर प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश से निकालने की योजना बन गई है। ताकि कांग्रेस के लिहाज से फिलहाल ड्राई हुए इस प्रदेश में अपनी ज्यादा ऊर्जा लगाने की बजाय प्रियंका गांधी उन राज्यों में फोकस करें जहां संभावनाएं बहुत ज्यादा नजर आ रही हो। इसमें राजस्थान, मध्य प्रदेश छत्तीसगढ, तेलंगाना और उड़ीसा समेत केरल और कर्नाटक शामिल है।
कभी उत्तर प्रदेश में जोर-शोर से चुनावी अभियान को हवा देकर माहौल बनाने वाली पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी को संगठन उत्तर प्रदेश से दूसरे राज्यों में बड़ी जिम्मेदारियों के साथ भेजने की तैयारी कर रहा है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि यह बात तो सही है कि प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों के बाद से यहां नहीं आई है लेकिन उत्तर प्रदेश के तमाम जिम्मेदारियों से अवमुक्त होगी ऐसा फिलहाल पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक आदेश तो अभी नहीं आया है। हालांकि कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता पीएल पुनिया कहते हैं कि मलिकार्जुन खरगे के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद से पार्टी के भीतर कई स्तर के संगठनात्मक बदलाव किए जाने हैं। ऐसे में कौन से पदाधिकारी को किस राज्य की जिम्मेदारी दी जाएगी यह तो कर्नाटक चुनाव के बाद ही तय किए जाने का फैसला लिया जाना था। वह कहते हैं कर्नाटक में चुनाव हो चुके हैं तो निश्चित तौर पर अब बैकरूम एक्सरसाइज चल ही रही होगी कि संगठनात्मक स्तर पर किस तरीके का फेरबदल होगा।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस पार्टी से जुड़े वरिष्ठ नेता कहते हैं कि प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में जिस तरीके से मेहनत की उसी का परिणाम रहा कि ग्राउंड स्तर पर संगठनात्मक ढांचा मजबूत हुआ। हालांकि यह बात भी मानते हैं कि पार्टी में मचे अंदरूनी घमासान की वजह से पार्टी को वह फायदा चुनावों में नहीं हुआ जिसकी उम्मीद जताई जा रही थी। पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि प्रियंका गांधी पूरी तरीके से उत्तर प्रदेश तो नहीं छोड़ेगी क्योंकि लोकसभा के चुनावों में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस बड़े सियासी और संगठनात्मक स्तर पर अपनी मजबूत पकड़ बनाने की योजना बना रहा है। जानकारी के मुताबिक कांग्रेस की दो प्रमुख पुरानी सीट रायबरेली और अमेठी पर इस बार फिर से गांधी परिवार के दो प्रमुख सदस्यों की प्रमुख दावेदारी बताई जा रही है। इसमें अगर एक सीट पर प्रियंका गांधी चुनाव लड़ने की तैयारी करती हैं तो प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में मजबूत तरीके से कांग्रेस को खड़ा करने में मदद कर सकेंगी।
वही उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों के बाद से प्रियंका गांधी की अचानक कम हुई सक्रियता को लेकर तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं। कहा तो यह तक जा रहा है कि प्रियंका गांधी के लखनऊ में बनाए गए आशियाने में अब उतनी सक्रियता नहीं रहती जितनी कि प्रियंका गांधी की उत्तर प्रदेश में मौजूदगी के दौरान हुआ करती थी। कांग्रेस के नेता पी एल पुनिया कहते हैं कि कुछ चुनाव में जिस तरीके से कांग्रेस ने अलग-अलग राज्यों में सरकारें बनानी शुरू की है उससे कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं के सामूहिक प्रयास झलकते लगते हैं। लेकिन निश्चित तौर पर प्रियंका गांधी की ओर से की गई मेहनत कर्नाटक और हिमाचल जैसे राज्यों में एक अलग ही मुकाम रखती हैं। वही पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में अपनी बतौर राष्ट्रीय महासचिव की पुरानी सक्रियता तो जरूर कम कर सकती है लेकिन अमेठी और रायबरेली में पुरानी सक्रियता के साथ ही जुटी रहेंगी।
कांग्रेस पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि प्रियंका गांधी को आने वाले दिनों में जिन राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं वहां पर ज्यादा सक्रिय करने की बात कही जा रही है हालांकि इसको लेकर प्रियंका गांधी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की बैठक के बाद हो सकेगा कि प्रियंका गांधी की भूमिका क्या होगी। लेकिन उत्तर प्रदेश की तरह सियासी रूप से मजबूत करने के लिहाज से प्रियंका गांधी को मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना, कर्नाटक और केरल जैसे राज्यों में बड़ी जिम्मेदारी देने की तैयारी और भूमिका जरूर बनाई जा रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता मानते हैं कि राहुल गांधी के साथ-साथ प्रियंका गांधी को दी जाने वाली जिम्मेदारी से लोकसभा के चुनावों में पार्टी मजबूती के साथ सियासी मैदान में खड़ी भी होगी और चुनाव भी लड़ सकेगी।