वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:-यूएसआईसी ने अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर के अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर पड़े नतीजों का अध्ययन किया। उसके बाद तैयार अपनी रिपोर्ट में आयोग ने कहा है कि ट्रंप प्रशासन के फैसले के कारण चीन से आयातित ज्यादातर चीजों के दाम बढ़ गए। उनमें कंप्यूटर उपकरण, सेमीकंडक्टर, फर्नीचर और ऑडियो-वीडियो उपकरण शामिल हैं...
चीन के खिलाफ अमेरिका ने 2018 में जो व्यापार युद्ध शुरू किया, वह उसके लिए खुद को नुकसान पहुंचाने वाला कदम साबित हुआ है। तत्कालीन डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने तब चीन से आयात होने वाली 300 बिलियन डॉलर की वस्तुओं पर अतिरिक्त शुल्क लगा दिए थे। मकसद अमेरिका में चीन की वस्तुओं का बाजार घटाना था। लेकिन अब अमेरिका के इंटरनेशनल ट्रेड कमीशन (यूएसआईसी) ने तब कई हलकों से जताई गई इन आशंकाओं की पुष्टि कर दी है कि उस कदम से असल नुकसान अमेरिकी उपभोक्ताओं को हुआ।
ट्रेड कमीशन में अमेरिकी कांग्रेस (संसद) के सदस्य शामिल रहते हैं। इनमें दोनों दलों- डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी के सदस्यों को नुमाइंदगी मिलती है। आयोग ने ट्रेड वॉर को 'सेल्फ इन्फ्लिक्टेड हार्म' (खुद को पहुंचाई गई चोट) बताया है। यूएसआईसी ने अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर के अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर पड़े नतीजों का अध्ययन किया। उसके बाद तैयार अपनी रिपोर्ट में आयोग ने कहा है कि ट्रंप प्रशासन के फैसले के कारण चीन से आयातित ज्यादातर चीजों के दाम बढ़ गए। उनमें कंप्यूटर उपकरण, सेमीकंडक्टर, फर्नीचर और ऑडियो-वीडियो उपकरण शामिल हैं। इन चीजों की कीमत में 2021 तक 25 फीसदी बढ़ोतरी हो चुकी थी।
ब्रिटिश पत्रिका द इकॉनमिस्ट से जुड़ी इकॉनमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट के विशेषज्ञ निक मारो ने अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से कहा- अमेरिका में लगाए गए शुल्कों से चीन को अपना आर्थिक मॉडल बदलने के लिए मजबूर नहीं किया जा सका है। ना ही उससे चीन के साथ कारोबार करने में कारोबारियों के रास्ते में आने वाली कई रुकावटें दूर हुई हैं। उन्होंने कहा- ‘हमने अगर कुछ होते देखा है, तो वो यह है कि चीन ने अपनी उन नीतियों में और ताकत झोंक दी है।’
विशेषज्ञों के मुताबिक चीनी वस्तुओं पर लगाए शुल्कों का यह नतीजा जरूर हुआ है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने अपने सप्लाई चेन को अलग स्रोतों से जोड़ना शुरू किया है। खास कर वियतनाम और मलेशिया को उन्होंने तरजीह दी है। लेकिन जिन मकसदों से अमेरिका ने यह कदम उठाया था, उन्हें पूरा नहीं किया जा सका है। आंकड़ों के मुताबिक जिन वस्तुओं पर शुल्क लगाया गया, 2017 में उनका अमेरिका ने 311 बिलियन डॉलर का आयात किया था। 2021 में यह आयात 265 बिलियन डॉलर का रह गया। मगर इससे बाजार में चीजों की कमी हो गई और उसका नतीजा महंगाई के रूप में सामने आया।
सिंगापुर स्थित आईएसईएएस-युसूफ इशाक इंस्टीट्यूट में सीनियर फेलॉ जयंत मेनन ने साउथ चाइना मॉर्निग पोस्ट से कहा- ‘अमेरिकी शुल्कों का वास्तविक प्रभाव ना तो आयातकों पर हुआ, और ना ही निर्यातक पर। बल्कि इससे वे लोग प्रभावित हुए, जो इन चीजों के खरीदार हैं।’
यूएसआईटीसी के आयुक्त जेसॉन कीर्न्स ने कहा है कि आयोग की रिपोर्ट में ‘अतिरिक्त नजरिये’ का एक अध्याय शामिल किया गया है। उन्होंने कहा- ‘उसमें जताए गए विचारों से ऐसी तस्वीर उभरती है कि ट्रंप प्रशासन के कदम से चीन के ‘अनुचित व्यापार व्यवहार’ को बदलने में कामयाबी नहीं मिली। लेकिन उसमें उस कदम के अल्पकालिक प्रभावों का ही जिक्र है। साथ ही इस रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि हम कहां पहुंचे हैं या हम किस तरफ जा रहे हैं।’