वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज :-साल 2021 में, फ्लिपकार्ट ने दिल्ली में एक हब खोला जो पूरी तरह से दिव्यांग चलाते हैं। हर दिन 2,000 डिलीवरी पूरी करने के अलावा इस हब पर रोज 50 से अधिक लोगों को रोजगार मिलता है। इस हब की ग्राहक संतुष्टि रेटिंग भी 97% है। इस हब में प्रतिभाशाली, सक्षम और कुशल लोग टीम लीड, कैशियर, डिलीवरी एक्जीक्यूटिव, पैकर्स और सॉर्टर्स के रूप में काम करते हैं।
आज कार्यस्थलों पर विविधता और समावेशन (डीएंडआई) के कल्चर की स्पष्ट और मजबूत आवश्यकता है और इसके अनेक कारण हैं। एक विविध कार्यबल संगठनों को बहुत बड़े प्रतिभा पूल में टैप करने और विभिन्न अनुभवों और दृष्टिकोणों को एक साथ लाने के साथ-साथ अधिक से अधिक इनोवेशन और सहयोग को उत्प्रेरित करने में सक्षम बनाता है।
वो कंपनियां ही सबसे अच्छा प्रदर्शन करतीं हैं जहां पर प्रत्येक कर्मचारी की बात को उनका टीम लीडर न सिर्फ सुनता है बल्कि उनके विचारों, सुझावों और चिंताओं को समझता भी है। इसी कड़ी में फ्लिपकार्ट एक ऐसा संगठन है जो यह समझता है कि विश्वास, समावेशन, समर्थन और सहानुभूति कैसे उनके कर्मचारियों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
फ्लिपकार्ट पर उत्पाद लाइन-अप की सुविधा में काफी विविधता है और यहां से रोजाना शॉपिंग करने वाले ग्राहकों की संख्या भी काफी विशाल है। साथ ही फ्लिपकार्ट यह सुनिश्चित करने के लिए बहुत सावधानी बरतता है कि इसी प्रकार की विविधता उन कर्मचारियों में भी दिखाई दे जो फ्लिपकार्ट को ऐसा बनाने के लिए अपना अमूल्य योगदान देकर यहां काम करते हैं।
फ्लिपकार्ट एक ऐसी ई-कॉमर्स कंपनी है जो व्यक्तियों को, उनके लिंग, जाति, जातीयता या शारीरिक बनावट आदि चीजों के परे होकर उनके दृष्टिकोण को एक नई पहचान देने की कोशिश करती है। इसके साथ ही यह अपने सहकर्मियों और टीम लीडर्स को एक बेहतरीन टीम बनाने के लिए प्रोत्साहित करती है। यह न अपने कर्मचारियों से सिर्फ सहानुभूति रखती हैं, बल्कि उन्हें अपने प्रोफेशनल लक्ष्यों के साथ सही दिशा में बढ़ने के लिए मार्गदर्शन भी देते हैं।
फ्लिपकार्ट का कल्चर खुलेपन और समावेशी विचारधारा को प्रोत्साहित करता है और हमेशा ऐसी ही विविध प्रतिभाओं को सक्रिय रूप से नियुक्त करने का लक्ष्य रखती है जो कंपनी के दृष्टिकोण का सम्मान करते हैं और इसके विकास में अपना योगदान देते हैं।फ्लिपकार्ट ने अपनी आपूर्ति शृंखला में 2,100 से अधिक दिव्यांग व्यक्तियों को रोजगार देकर एक विविध, समावेशी और निष्पक्ष कार्यस्थल को बढ़ावा दिया है।
जिनकी रिमार्केबल कहानियां न केवल दिव्यांग व्यक्तियों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर बल्कि हर दिन मान्यता और प्रशंसा की पात्र हैं। आइए जानते हैं कि इनमें से कई लोगों की कौन सी खासबात उन्हें उनकी ही कहानी का नायक बनाती है?
दिव्यांग लोगों को अक्सर कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है जो समाज में उनकी पूर्ण और समान भागीदारी में बाधा डालते हैं। जबकि विभिन्न कार्यक्रमों और जागरूकता अभियानों का उद्देश्य इस विभाजन को पाटना है। सामाजिक बहिष्कार और पहुंच की कमी दिव्यांग लोगों के सामने आने वाली चुनौतियों को बढ़ा देती है। 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में लगभग 26.8 मिलियन दिव्यांग व्यक्ति हैं।
अपनी आपूर्ति शृंखला की भूमिकाओं में दिव्यांग लोगों को समान अवसर दिलाने के लिए, फ्लिपकार्ट ने अपने कार्यबल में कई दिव्यांग लोगों को शामिल करने के लिए एक खास कार्यक्रम बनाया है।
साल 2021 में, फ्लिपकार्ट ने दिल्ली में एक हब खोला जो पूरी तरह से दिव्यांग चलाते हैं। हर दिन 2,000 डिलीवरी पूरी करने के अलावा इस हब पर रोज 50 से अधिक लोगों को रोजगार मिलता है। इस हब की ग्राहक संतुष्टि रेटिंग भी 97% है। इस हब में प्रतिभाशाली, सक्षम और कुशल लोग टीम लीड, कैशियर, डिलीवरी एक्जीक्यूटिव, पैकर्स और सॉर्टर्स के रूप में काम करते हैं।
इसी हब से जुड़े हुए शेखर, फ्लिपकार्ट में एक विशमास्टर और चार बच्चों के पिता है और वो अपना अनुभव साझा करते हुए कहते हैं; "एक दोस्त ने मुझे फ्लिपकार्ट से परिचित कराया, और जब से मैं कंपनी में शामिल हुआ, मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज, मुझे विश्वास है कि मैं अपने सभी बच्चों को एक सुरक्षित भविष्य प्रदान कर सकता हूं।"
इसी हब से जुड़े हुए अजय भी विशमास्टर है और अपने गौरवपूर्ण पलों में से एक को याद करते हुए बताते हैं; "कई छोटे-मोटे काम करने के बाद, मैं फ्लिपकार्ट से जुड़ा। जब मैंने अपना पहला वेतन अपने माता-पिता को दिया तो मुझे जो खुशी महसूस हुई, उसका वर्णन नहीं किया जा सकता।"
इसी कड़ी में संगीता, जो अब उसी हब में एक टीम लीडर हैं, ने भी अपना आभार व्यक्त करते हुए कहती हैं; "मैंने कई नौकरियां की हैं, लेकिन फ्लिपकार्ट में, मुझे अपना परिवार मिल गया है।"
संगीता अपनी व्यक्तिगत यात्रा साझा करती हुई कहती है; "आज भी, दिव्यांग महिलाओं को हमारे समाज में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। पिछले चिकित्सा उपचार के कारण, मेरे पैर में एक दोष है, और मैं अभी भी लंगड़ा कर चलती हूं। ऐसे में आप या तो इसे स्वीकार कर ले और या फिर अपने भाग्य से लड़ना चुनो और मैंने भाग्य से लड़ना चुना।"
शेखर कुमार, जिनके दोनों हाथों में उंगलियां नहीं हैं, अपनी मजबूती से संघर्ष करने की भावना को साझा करते हुए कहते हैं; "मैंने कभी भी खुद को अक्षम नहीं माना। मैंने जीवनयापन करने के लिए कई कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद कभी हार नहीं मानी, जैसे कि एक निर्माण स्थल पर पत्थर और ईंटें ले जाने का कार्य करने के दौरान अक्सर मेरी उंगलियों पर चोट लगता रहता था लेकिन मैं फिर भी डटा रहा। "
फ्लिपकार्ट की आपूर्ति शृंखला के भीतर विविध प्रतिभाओं को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित और सहायता प्रदान करने की ये प्रक्रिया एक बेहतरीन पहल के रूप में इस कल्चर को बढ़ावा देती है।
साथ ही यहां के कर्मचारियों को विशेष रूप से नौकरी के दौरान ट्रेनिंग देने के लिए स्पेशल क्लास सेटिंग और साइन लैंग्वेज की प्रशिक्षण सेशन के द्वारा उनके काम को बढ़ावा दिया जाता है। आपूर्ति शृंखला सुविधाओं के भीतर पहुंच को सुनिश्चित करने के लिए संवेदनशीलता प्रशिक्षण, समानुभूति विकास और यहां के बुनियादी ढांचे में बदलाव भी किए गए हैं। साथ ही ग्राहकों के साथ आसान संचार सक्षम करने के लिए विशमास्टर्स की ओर से विशेष बैज और फ्लैशकार्ड का उपयोग किया जाता है।
फ्लिपकार्ट का समावेशन कल्चर निरंतर संगीता, अजय और शेखर जैसे लोगों को वास्तव में चमकने और अपनेपन की भावना का अनुभव करने में सक्षम बनाने के लिए अपना समर्थन दे रहा है। हमारे संघर्ष अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन हम सभी अपनी-अपनी कहानियों के नायक हैं, ये बात संगीता बड़ी स्पष्टता के साथ कहती हैं।