Akbaruddin Owaisi: अकबरुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर के तौर पर शपथ ली। इसके बाद ओवैसी ने नवनिर्वाचित विधायकों को भी शपथ दिलाई। वहीं, भाजपा ने अपने विधायकों को ओवैसी के सामने शपथ के लिए नहीं भेजा और समारोह का बहिष्कार किया।
तेलंगाना में हाल ही में विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित हुए। राज्य में कांग्रेस सत्ता में आई। निर्वाचित विधायकों की शपथ के लिए एआईएमआईएम विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी प्रोटेम स्पीकर बनाए गए हैं। हालांकि, राज्य में चुने गए भाजपा विधायकों ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया है। इसके साथ ही इन विधायकों ने एलान किया है कि वह अकबरुद्दीन द्वारा शपथ नहीं लेंगे।
तेलंगाना में प्रोटेम स्पीकर का विवाद क्या है? भाजपा के विरोध की वजह क्या है? आखिर प्रोटेम स्पीकर कौन होते हैं और इनका चुनाव कैसे होता है? प्रोटेम स्पीकर काम क्या करते हैं? आइये जानते हैं...
तेलंगाना में प्रोटेम स्पीकर का विवाद क्या है?
राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन ने एआईएमआईएम विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है। इसके बाद चंद्रयानगुट्टा से नवनिर्वाचित विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को शपथ ली। छठी बार विधानसभा पहुंचे ओवैसी ने नवनिर्वाचित विधायकों को भी शपथ दिलाई। वहीं, भाजपा ने एलान के तहत अपने विधायकों को ओवैसी के सामने शपथ के लिए नहीं भेजा और समारोह का बहिष्कार किया।
भाजपा के विरोध की वजह क्या है?
इससे पहले ओवैसी को प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने पर भाजपा विधायक टी. राजा सिंह ने विरोध किया। उन्होंने कहा, 'नई सरकार, कांग्रेस के नए मुख्यमंत्री बनने के बाद रेवंत रेड्डी और कांग्रेस का असली चेहरा सामने आ गया है। रेवंत हर बार कहते थे कि भाजपा, बीआरएस और एआईएमआईएम एक हैं। आज पता चल गया कि कौन किसके साथ है।'
राजा के बाद केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी ने भी ओवैसी को प्रोटेम स्पीकर बनाने का पुरजोर विरोध किया। किशन रेड्डी ने कहा, 'वरिष्ठ विधायकों को छोड़कर अकबरुद्दीन को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया है। ये नियमों और विधानसभा की परंपरा के खिलाफ है। हमारी पार्टी के विधायक नियमित स्पीकर आने के बाद ही शपथ लेंगे।'
प्रोटेम स्पीकर कौन होते हैं?
प्रोटेम स्पीकर अस्थायी भूमिका निभाता है और वह नवनिर्वाचित सदस्यों के शपथ लेने और स्पीकर चुने जाने तक विधानसभा सत्र का संचालन करता है। दरअसल, संविधान में 'प्रोटेम स्पीकर' शब्द का उपयोग नहीं किया गया है। हालांकि, सदन के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के नहीं होने पर सदन की कार्यवाही संचालित करने को लेकर जरूर कहा गया है। प्रोटेम स्पीकर एक अस्थायी स्पीकर होता है जिसे संसद या राज्य की विधानसभाओं में कार्यवाही संचालित करने के लिए सीमित समय के लिए नियुक्त किया जाता है। प्रोटेम स्पीकर को आम तौर पर नई विधानसभा की पहली बैठक के लिए चुना जाता है, जहां स्पीकर का चुनाव होना बाकी है।
जैसा कि राज्यों में सदन भंग होने पर विधानसभा अध्यक्ष का पद रिक्त हो जाता है तो, अगले अध्यक्ष के चुनाव तक राज्यपाल द्वारा नियुक्ति प्रोटेम स्पीकर ही सदन की अध्यक्षता करते हैं।
प्रोटेम स्पीकर किसे नियुक्त किया जा सकता है?
प्रोटेम स्पीकर का जिक्र संविधान के अनुच्छेद 180(1) में है। अनुच्छेद 180(1) में प्रावधान है कि जब अध्यक्ष या उपाध्यक्ष का पद खाली हो, तो कार्यालय के कर्तव्यों का पालन 'ऐसे' विधानसभा के सदस्य द्वारा किया जाना चाहिए जिसे राज्यपाल इस प्रयोजन के लिए नियुक्त कर सकते हैं।
प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति की प्रक्रिया क्या होती है?
प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति के लिए कोई विशिष्ट संवैधानिक या वैधानिक प्रावधान नहीं हैं। हालांकि, संवैधानिक परंपरा के अनुसार सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य को प्रोटेम स्पीकर चुना जाता है। इस मामले में वरिष्ठता सदन में सदस्यता से देखी जाती है न कि सदस्य की उम्र से।
तेलंगाना से पहले और भी कहीं प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति पर विवाद हुआ है?
मई 2018 में हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा विधायक केजी बोपैया को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करने के राज्यपाल के फैसले ने सियासी बवाल खड़ा कर दिया था। उस वक्त कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन ने बोपैया की नियुक्ति को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। विपक्ष ने आग्रह किया था कि कांग्रेस के आरवी देशपांडे को प्रोटेम स्पीकर होना चाहिए, क्योंकि वह सबसे वरिष्ठ विधायक हैं।
कोर्ट ने 19 मई 2018 को मामले की सुनवाई की और फैसला भाजपा विधायक के पक्ष में आया। सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि अतीत में कई मामले सामने आए हैं, जब सदन में सबसे वरिष्ठ विधायक प्रोटेम स्पीकर नहीं थे और राज्यपाल के फैसले को बदलने की जरूरत नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद भाजपा विधायक केजी बोपैया ने बतौर प्रोटेम स्पीकर फ्लोर टेस्ट कराया था। फ्लोर टेस्ट में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन को जीत हासिल हुई थी।
तेलंगाना विधानसभा के सबसे वरिष्ठ विधायक कौन हैं?
प्रथा के अनुसार सबसे वरिष्ठ विधायक को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है। तेलंगाना विधानसभा की बात करें तो पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव कार्यकाल के हिसाब से सबसे वरिष्ठ विधायक हैं। राव आठ बार विधायक रह चुके हैं। हालांकि, के. चंद्रशेखर राव हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी के लिए अस्पताल में भर्ती हैं।