वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:-इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (आईईईएफए) की रिपोर्ट में कहा गया है कि कचरा प्रबंधन, ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में कमी और नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन में वृद्धि सहित बायोगैस परियोजनाओं के विस्तार से पर्यावरण संबंधी लाभ मिलेगा।
प्राकृतिक गैस की जगह बायोगैस और बायोमीथेन की खपत 2030 तक 20 फीसदी बढ़ाने से भारत को अपने तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) के आयात बिल में 2024-25 से 2029-30 के बीच 29 अरब डॉलर की कमी करने में मदद मिल सकती है।
इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (आईईईएफए) की रिपोर्ट में कहा गया है कि कचरा प्रबंधन, ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में कमी और नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन में वृद्धि सहित बायोगैस परियोजनाओं के विस्तार से पर्यावरण संबंधी लाभ मिलेगा। आईईईएफए में ऊर्जा विश्लेषक पूर्वा जैन ने कहा, बायोगैस में प्राकृतिक गैस व अन्य उच्च उत्सर्जन वाले जीवाश्म ईंधन की जगह लेने की क्षमता है। कार्बन डाइऑक्साइड और हाइड्रोजन सल्फाइड जैसी अशुद्धियां खत्म कर इसकी मीथेन सामग्री को 90 फीसदी तक उन्नत कर सकते हैं। इससे यह कैलोरी के लिहाज से प्राकृतिक गैस के बराबर हो जाती है।
संघर्ष से बायोगैस क्षेत्र को मिली लोकप्रियता
जैन ने कहा कि उत्पादन की उचित विधि अपनाकर और उत्पादन के दौरान मीथेन गैस के रिसाव को दूर कर आपूर्ति के स्तर पर उन्नत बायोगैस देश को ईंधन का एक स्वच्छ विकल्प प्रदान कर सकती है। इसके लिए अभी हम आयातित प्रकृतिक गैस पर निर्भर है। स्पष्ट लाभ के बावजूद बायोगैस क्षेत्र को भारत में जगह बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ा है।
सरकार को पूरी क्षमता के लिए करने होंगे प्रयास
सरकार की नीतियों से बायोगैस में निजी क्षेत्र की रुचि फिर से जगी है। रिलायंस इंडस्ट्रीज और अदाणी समूह जैसी कंपनियों ने मजबूत उत्साह दिखाया है। रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि सरकार को भारत में बायोगैस क्षमता का पूरी तरह से दोहन के लिए और अधिक प्रयास करने होंगे। इनमें अधिक निवेश व निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहन देना, बायोगैस से जुड़ी बाजार व्यवहार्यता में सुधार करना, बायोगैस संयंत्र विकास के लिए वित्तीय पहुंच बढ़ाना शामिल है।