वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:- रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनियाभर में संचालित हो रहीं या प्रस्तावित 4300 कोयला खदानों से ही दुनियाभर में हो रहे कोयला खनन का 90 प्रतिशत कोयला निकाला जाता है।
एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि साल 2035 तक वैश्विक कोयला उद्योग में चार लाख से ज्यादा लोगों की नौकरियां जाएंगी। यह 100 नौकरियां प्रति दिन जाने के बराबर है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि चीन और भारत इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। इतने बड़े पैमाने पर नौकरियां जाने का कारण रिपोर्ट में, सस्ती पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा की तरफ बाजार का झुकाव और जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए बनाई जा रहीं नीतियों को बताया गया है।
भारत-चीन में जाएंगी सबसे ज्यादा नौकरियां
वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य का विश्लेषण करने वाले एक अमेरिकी एनजीओ ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर ने यह रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि मौजूदा समय में संचालित की जा रहीं कोयला खदानों को बंद करने के चलते भविष्य में 9,90,200 नौकरियां जाएंगी, जो कि मौजूदा कुल कार्यबल के 37 प्रतिशत के बराबर है। चीन के शांक्शी प्रांत में सबसे ज्यादा नौकरियां जाने का खतरा है। रिपोर्ट के अनुसार, साल 2050 तक शांक्शी में ही करीब 2,41,900 नौकरियां जाएंगी। वहीं भारत में इस दौरान कोल इंडिया में ही करीब 73,800 कोयला खनन कर्मचारियों की नौकरियां जाएंगी।
जलवायु परिवर्तन बड़ी वजह
रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनियाभर में संचालित हो रहीं या प्रस्तावित 4300 कोयला खदानों से ही दुनियाभर में हो रहे कोयला खनन का 90 प्रतिशत कोयला निकाला जाता है। जलवायु परिवर्तन को देखते हुए अब दुनिया भर में कोयला से बिजली बनाने के खिलाफ आवाजें उठ रही हैं और सरकार ऐसी नीतियां बना रही हैं, जिनमें कोयले के कम इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है। यही वजह है कि जब धीरे धीरे वैश्विक अर्थव्यवस्था कोयले से शिफ्ट होकर अक्षय ऊर्जा की तरफ बढ़ रही है तो कोयला उद्योग में बड़े पैमाने पर नौकरियां जानी तय हैं। हालांकि जहां एक तरफ कोयला उद्योग में नौकरियां जाएंगी, वहीं अक्षय ऊर्जा उद्योग में नौकरियां बढ़ेंगी।
बिजली उद्योग भी हो सकता है प्रभावित
कोयला उद्योग में करीब 22 लाख नौकरियां अकेले एशियाई देशों में हैं। ऐसे में कोयला खनन कम होने से सबसे ज्यादा असर भी एशियाई देशों पर ही होगा। साथ ही कोयला खनन से जुड़ी नौकरियां सामान्य तौर पर रिमोट इलाकों में होती हैं। खनन के चलते ही इन रिमोट इलाकों में आर्थिक गतिविधियां चलती हैं, ऐसे में कोयला खनन कम होने से इस ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ने की आशंका है। चीन सबसे बड़ा कोयला उत्पादक देश है। वहीं भारत दूसरे नंबर पर है। ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि आने वाले दशकों में अधिकतर कोयला खदाने बंद हो सकती हैं लेकिन उसके बाद के हालात को लेकर कोई रणनीति नहीं बनाई गई है। पूरी दुनिया में अभी भी कोयले से बनने वाली बिजली का प्रतिशत सबसे ज्यादा है। साल 2020 में बिजली क्षेत्र ने ही 12.3 गीगाटन कार्बन डाइ ऑक्साइड का उत्सर्जन किया है जो किसी भी क्षेत्र से कई गुना ज्यादा है।