वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:-सेना के बड़ी संख्या में जूनियर कमीशंड अधिकारियों (जेसीओ) और अन्य रैंकों के चार सौ करोड़ रुपये के लंबे समय से लंबित दावों का निपटारा कर दिया गया है।
सेना के बड़ी संख्या में जूनियर कमीशंड अधिकारियों (जेसीओ) और अन्य रैंकों के चार सौ करोड़ रुपये के लंबे समय से लंबित दावों का निपटारा कर दिया गया है। सेना और रक्षा विभाग की संयुक्त पहल के बाद यह अभियान चलाया गया। आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि ज्यादातर दावे मकान किराया भत्ते, वेतन निर्धारण मामले और सैन्यकर्मियों के बच्चों को शिक्षा भत्ते से संबंधित थे। सूत्रों ने बताया कि सेना मुख्यालय और रक्षा लेखा महानियंत्रक (सीजीडीए) ने दावों के मामलों को निपटाने के लिए अखिल भारतीय स्तर पर अभियान चलाया।
सूत्रों ने कहा कि लंबित मामलों को निपटाने के लिए सीजीडीए में एक वॉर रूम स्थापित किया गया था और मामलों की बारीकी से निगरानी की जा रही थी। उन्होंने बताया कि संपर्क अभियान इस महीने की शुरुआत में शुरू हुआ जिसकी अगुवाई सीजीडीए (शिकायत) ने की जिसके तहत देशभर के सभी 48 वेतन एवं लेखा कार्यालयों में शिविर आयोजित किए गए।
उन्होंने कहा कि इसी तरह भारतीय सेना ने प्राथमिकता के आधार पर सभी मामलों को निपटाने के लिए अपने रिकॉर्ड कार्यालयों को सक्रिय कर दिया है। सेना में रिकॉर्ड कार्यालय दावों की सत्यता की जांच करने के लिए जिम्मेदार हैं, जबकि सत्यापित दावों को वेतन और लेखा कार्यालयों द्वारा मंजूरी दी जाती है।
वेतन एवं लेखा कार्यालय (पीएओ) सीजीडीए के तहत काम करते हैं। पूरे भारत में शाखा या सेवा के कुल 48 रिकॉर्ड कार्यालय और पीएओ स्थापित हैं। भारतीय सेना को जेसीओ और अन्य रैंकों से बड़ी संख्या में शिकायतें मिलीं थीं कि विभिन्न टिप्पणियों के कारण उनके दावों को मंजूरी नहीं दी गई।
एक अधिकारी ने कहा, 'इस मुद्दे को सीजीडीए के समक्ष उठाया गया और संयुक्त सीजीडीए (शिकायत) ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए भारतीय सेना के साथ पूर्ण तालमेल में तेजी से काम किया और अपने पीएओ के माध्यम से एक-एक करके सभी मामलों का विश्लेषण किया।'
सूत्रों ने कहा कि सेना और सीजीडीए के बीच तालमेल के परिणामस्वरूप जेसीओ और अन्य रैंकों के लिए 400 करोड़ रुपये के लंबे समय से लंबित दावों को जारी किया गया।