वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज :-एनडीए की शुरुआत 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी और तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने 16 दलों के साथ मिलकर की थी। एनडीए के गठन से लेकर आज तक कई बड़े उलटफेर हुए। कई नए दल जुड़े तो कई पुराने दल अब साथ छोड़ चुके हैं।
ये कहानी है NDA (नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस) यानी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की। मई में एनडीए के गठन को 25 साल पूरे हो गए। ये भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ वैचारिक मेल रखने वाले राजनीतिक दलों का एक बड़ा समूह है।
इसकी शुरुआत 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी और तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने 16 दलों के साथ मिलकर की थी। एनडीए के गठन से लेकर आज तक कई बड़े उलटफेर हुए। कई नए दल जुड़े तो कई पुराने दल अब साथ छोड़ चुके हैं। आइए जानते हैं इन 25 साल के सफर में एनडीए ने क्या-क्या कमाल किया? इससे कितने दल जुड़े थे और अब क्या हालत है?
कहानी की शुरुआत एनडीए के गठन से करते हैं
बात 1998 की है। देश में लोकसभा चुनाव का दौर था। जोरशोर से इसकी तैयारी चल रही थी। कांग्रेस की अगुआई में एक गठबंधन पूरा दमखम लगा दिया था। इधर, विपक्षी दल अलग-थलग पड़े थे। उस दौरान विपक्षी दलों को एकजुट करने की जिम्मेदारी अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी ने उठाई। 16 दलों को एकसाथ एक मंच पर लेकर आए। कई छोटे दल थे, तो कई बड़े भी।
भाजपा के अलावा तब एनडीए में पश्चिम बंगाल से नई-नई बनी तृणमूल कांग्रेस, तमिलनाडु और पुडुचेरी से एआईएडीएमके, बिहार और यूपी से समता पार्टी, महाराष्ट्र से शिवसेना, ओडिशा से बीजू जनता दल, कर्नाटक और नगालैंड से लोक शक्ति, पंजाब से शिरोमणि अकाली दल, तमिलनाडु से पीएमके, जनता पार्टी, एमडीएमके, हरियाणा से हरियाणा विकास पार्टी, आंध्र प्रदेश से एनटीआर तेलुगु देशम पार्टी (एलपी), पंजाब और बिहार से जनता दल, मणिपुर से मणिपुर स्टेट कांग्रेस पार्टी, सिक्किम से सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट का साथ मिला। इसके अलावा भाजपा समर्थित चार निर्दलीय सांसद भी थे।
कुल मिलाकर 16 दल एकसाथ मिलकर चुनाव लड़े और एनडीए के खाते में 261 सीटें आ गईं। भाजपा ने सबसे ज्यादा 182 सीटें जीती थीं। पार्टी ने किसी तरह सरकार बना ली, लेकिन ये ज्यादा दिन तक नहीं चली। 17 अप्रैल 1999 को एआईएडीएमके ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया और वाजपेयी की सरकार गिर गई। हालांकि, बाद में फिर से वाजपेयी ने सरकार बनाने में सफलता हासिल कर ली और 2004 तक वह देश के प्रधानमंत्री रहे। तब लालकृष्ण आडवाणी डिप्टी पीएम थे। वाजपेयी पहले चेयरमैन, दूसरे चेयरमैन आडवाणी बने
1998 में जब एनडीए का गठन हुआ तो उसकी अगुआई अटल बिहारी वाजपेयी ने खुद की। 2004 तक वह इस जिम्मेदारी को संभालते रहे। इसके बाद लाल कृष्ण आडवाणी 2004 से 2014 तक एनडीए चेयरमैन रहे। 2014 से अब तक एनडीए के चेयरमैन गृहमंत्री अमित शाह हैं। एनडीए में दूसरा अहम पद कन्वीनर का होता है। जार्ज फर्नांडीस एनडीए के पहले कन्वीनर (संयोजक) रहे। फिलहाल अमित शाह एनडीए के चेयरमैन हैं। कन्वीनर की जगह खाली है।
2014 चुनाव में एनडीए की क्या स्थिति थी?
2013 में जब भाजपा ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया तो 23 पार्टियां एनडीए में थीं। इसमें भाजपा के साथ-साथ तेलुगु देशम पार्टी, शिवसेना, DMDK, अकाली दल, पीएमके, मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम, लोक जनशक्ति पार्टी, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, अपना दल, हरियाणा जनहित कांग्रेस (बीएल), स्वाभिमानी पक्ष, इंदिया जननायगा काची, पुठिया निधि काची, कोंगुनाडु मक्कल देसिया काची, अखिल भारतीय एनआर कांग्रेस, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए), राष्ट्रीय समाज पक्ष, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (बोल्शेविक), केरल कांग्रेस (राष्ट्रवादी), नेशनल पीपुल्स पार्टी, नागा पीपुल्स फ्रंट और मिजो नेशनल फ्रंट साथ थे। आम चुनाव में भाजपा ने अकेले 282 सीटें जीती थीं, जबकि एनडीए ने कुल 336 सीटों पर जीत हासिल की। नरेंद्र मोदी पहली बार पीएम बने।