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  • वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:- जम्मू कश्मीर रिजर्वेशन एक्ट हो सकता है लोकसभा में पेश शीत कालीन सत्र के दूसरे दिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जम्मू कश्मीर रिजर्वेशन एक्ट 2004 और जम्मू कश्मीर रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट 2019 को आज लोकसभा में पेश कर सकते हैं। रिजर्वेशन एक्ट से राज्य सरकार की नौकरियों, कॉलेज एडमिशन में आरक्षण व्यवस्था लागू हो सकेगी। वहीं जम्मू कश्मीर रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट 2019 की मदद से जम्मू कश्मीर और लद्दाख का पुनर्गठन किया जाएगा। इसकी मदद से जम्मू कश्मीर में विधानसभा सीटें 83 से बढ़कर 90 हो जाएंगी। साथ ही सात सीटें अनुसूचित जाति और 9 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए भी आरक्षित की जाएंगी।
  • Parliament Winter Session Live: संसद की कार्यवाही शुरू हुई, आज पेश हो सकती है आचार समिति की रिपोर्ट Parliament Winter Session 2023 Live News in Hindi: संसद के शीतकालीन सत्र का आज दूसरा दिन है। पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के मामले में घिरी टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ संसद की आचार समिति की रिपोर्ट आज संसद में पेश की जा सकती है। विपक्षी सांसदों की मांग है कि इस रिपोर्ट पर कोई भी फैसला लेने से पहले इस पर संसद में चर्चा होनी चाहिए। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि आचार समिति की रिपोर्ट में महुआ मोइत्रा को संसद सदस्यता से निष्कासित करने की सिफारिश की गई है।
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राजस्थान चुनाव से पहले अपनों पर क्यों हमलावर हैं सचिन पायलट

वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज :-सवाल उठ रहा है कि आखिर ये किस तरह की सियासत राजस्थान में चल रही है? पायलट क्यों बार-बार बागी रुख अख्तियार कर रहे हैं? सचिन पायलट का अगला कदम क्या होगा? पायलट करना क्या चाहते हैं? क्या वाकई में चुनाव से ठीक पहले राजस्थान की सियासत में कोई बड़ा उलटफेर होने वाला है? आइए समझते हैं...  

राजस्थान में चुनाव नजदीक हैं। इसके ठीक पहले सत्ताधारी कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ आरपार की लड़ाई का एलान कर दिया है। सचिन पायलट ने 11 मई से अजमेर से जयपुर तक पदयात्रा निकालने का आह्वान किया है। इसके पहले सचिन कई मांगों को लेकर अपनी ही सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन भी कर चुके हैं। तब उनके इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में भीड़ जुटी थी। 

ऐसा नहीं है कि पायलट ने अचानक बागी तेवर दिखाने शुरू किए हैं। पिछले पांच साल के अंदर कई बार वह बागी रुख अख्तियार कर चुके हैं। एक बार तो डिप्टी सीएम रहते हुए कई विधायकों को लेकर दिल्ली पहुंच गए थे। तब कयास लगाए जा रहे थे कि पायलट अपनी सरकार गिरा देंगे। 

उधर, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी लगातार सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों पर हमलावर रहे हैं। एक दिन पहले ही बिना पायलट का नाम लिए गहलोत ने कहा था कि जिन विधायकों ने भाजपा से पैसे लिए थे, वो वापस कर दें। इसके साथ ही गहलोत ने भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया की तारीफ भी की थी। 

ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर ये किस तरह की सियासत राजस्थान में चल रही है? पायलट क्यों बार-बार बागी रुख अख्तियार कर रहे हैं? सचिन पायलट का अगला कदम क्या होगा? पायलट करना क्या चाहते हैं? क्या वाकई में चुनाव से ठीक पहले राजस्थान की सियासत में कोई बड़ा उलटफेर होने वाला है? आइए समझते हैं...  

पहले जानिए सचिन पायलट ने क्या कहा? 

कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा, 'अशोक गहलोत का भाषण हमने सुना। इसे सुनकर ऐसा लगता है कि उनकी (अशोक गहलोत) नेता सोनिया गांधी नहीं बल्कि वसुंधरा राजे सिंधिया हैं।' पायलट ने आगे कहा, 'एक तरफ वो कह रहे हैं कि भाजपा ने हमारी सरकार गिराने की कोशिश की है, तो दूसरी ओर बोल रहे कि वसुंधरा राजे सिंधिया ने सरकार बचाई। इस बयान में काफी विरोधाभास है। मुझे लगता है कि इसे स्पष्ट करना चाहिए।'

पायलट ने 2020 में हुई बगावत की कहानी भी बताई। कहा कि तब हम लोग नेतृत्व परिवर्तन चाहते थे। हमने हमारी बातों को पार्टी आलाकमान के सामने रखा। कई दौर की मीटिंग के बाद कमेटी बनाई गई थी। इसमें रोडमैप तैयार हुआ। इसके बाद हम सबने कांग्रेस को मजबूत करने के लिए जी जान से काम किया। 

ढाई साल का ये कार्यकाल हुआ, उसमें अनुशासन तोड़ने का कोई काम हमारे द्वारा नहीं के किया गया। इसी के साथ पायलट ने 11 मई से पांच दिन की जन संघर्ष पद यात्रा निकालने का भी एलान कर दिया। ये यात्रा अजमेर से शुरू होकर जयपुर तक जाएगी। 

गहलोत ने पायलट पर वार, वसुंधरा राजे सिंधिया की तारीफ की थी  

सचिन पायलट से दो दिन पहले यानी रविवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इशारों-इशारों में सचिन पायलट पर जमकर हमला बोला था। गहलोत ने अमित शाह, धर्मेन्द्र प्रधान और गजेन्द्र सिंह शेखावत का नाम लेते हुए कहा कि बीजेपी के नेताओं ने कांग्रेस की सरकार को गिराने का प्रयास किया था। 

हमारे कुछ विधायकों को पैसे बांट दिए गए थे। 10 से 20 करोड़ रुपए प्रत्येक विधायकों को दिए गए लेकिन निर्दलीयों और अन्य विधायकों के सहयोग से सरकार बच गई। गहलोत ने पायलट और उनके समर्थित विधायकों पर निशाना साधते हुए कहा कि जिन विधायकों ने बीजेपी के नेताओं से 10 या 20 करोड़ रुपए लिए हैं, वे रुपए वापस अमित शाह को लौटा दें। 

गहलोत ने कहा कि अगर उन रुपयों में से कुछ हिस्सा खर्च हो गया है तो खर्च का हिस्सा मुझ से ले लें या मैं एआईसीसी से दिलवा दूंगा लेकिन अमित शाह को पैसे वापस लौटे दें। गहलोत ने कहा कि अगर उनके पैसे वापस नहीं दिए तो वे आपको डराएंगे, धमकाएंगे जैसे गुजरात में करते हैं।

यही नहीं, गहलोत ने भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया की तारीफ करते हुए कहा कि 2020 के संकट की साजिश भाजपा सरकार के केंद्रीय मंत्रियों ने रची थी। तब भाजपा की नेता वसुंधरा राजे, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल और विधायक शोभरानी कुशवाहा चुनी हुई कांग्रेस सरकार को गिराने के पक्ष में नहीं थे। 

अशोक गहलोत ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो अन्य नेताओं को 2020 के संकट के दौरान उनकी सरकार को बचाने में मदद करने का श्रेय दिया। हालांकि, गहलोत के बयान पर वसुंधरा ने पलटवार किया था। उन्होंने कहा, 'मेरे खिलाफ गहलोत का बयान एक साजिश है। गहलोत ने जितना अपमान किया है, उतना कोई मेरा अपमान नहीं कर सकता। वह 2023 के विधानसभा चुनाव में हार के डर से झूठ बोल रहे हैं।' 

तो सचिन पायलट क्या करने की कोशिश कर रहे?

इसे समझने के लिए हमने राजनीतिक विश्लेषक प्रो. अजय सिंह से बात की। उन्होंने पायलट के इस कदम के पीछे तीन कारण होने की बात कही..  

1. अपना कद बढ़ाने की कोशिश: ये एक संभावना है, क्योंकि इसके पहले भी वह कई बार ऐसा कर चुके हैं। 2018 में जब राजस्थान के अंदर कांग्रेस की सरकार बनी थी, तब से लेकर अब तक पायलट के बगावत की कई बार खबरें आ चुकी हैं। एक बार तो पायलट अपने समर्थक करीब 20 विधायकों के साथ दिल्ली में डेरा भी डाल चुके हैं। तब उनपर पार्टी ने कार्रवाई करते हुए सभी पदों से हटा दिया था। डिप्टी सीएम का पद भी गहलोत सरकार ने ले लिया था। ऐसे में पायलट ये जानते हैं कि इस बार जब वह बगावत कर रहे हैं तो इसका नतीजा काफी अलग हो सकता है। मसलन उन्हें पार्टी से निष्कासित भी किया जा सकता है। ऐसे में ये भी संभावना है कि पायलट खुद ऐसा चाहते हों। 

2. खुद शहीद होकर नया मोर्चा बनाने की कोशिश: इसकी संभावना सबसे ज्यादा दिख रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि सचिन पायलट जिन आरोपों को लेकर पदयात्रा निकालने जा रहे हैं, वो उन्होंने भाजपा की पिछली सरकार पर ही लगाए हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि वह न तो कांग्रेस में रहना चाहते हैं और न ही भाजपा में जाना चाहते हैं। इसलिए यह कहा जा सकता है कि पायलट राजस्थान में नया मोर्चा बनाने की कोशिश कर रहे हैं। 

वह खुद की नई पार्टी बना सकते हैं। पायलट युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं। भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक का मुद्दा और अजमेर से शुरू हो रही यात्रा इसी ओर इशारा कर रही है। ऐसा करके वह उन वोटर्स को साधना चाहते हैं जो कांग्रेस और भाजपा दोनों से ही नाखुश है। इसके अलावा, वह इस यात्रा के जरिए जनता के बीच एक माहौल भी तैयार कर लेंगे। 

अगर सफल हुए तो भले ही अकेले दम पर पायलट सरकार न बना सकें, लेकिन किंगमेकर की भूमिका में जरूर उभर सकते हैं। संभव ये भी है कि एक तरफ वह भाजपा में वसुंधरा राजे सिंधिया के कद और स्थिति को कमजोर करेंगे तो दूसरी ओर कांग्रेस को भी नुकसान पहुंचाएंगे।

3. कांग्रेस पर भी उठ जाएंगे सवाल: अगर भाजपा सरकार के खिलाफ जांच की मांग को लेकर पदयात्रा निकाल रहे   सचिन पायलट पर कांग्रेस कार्रवाई करती है तो भी कई सवाल खड़े होंगे। सचिन पायलट लोगों को ये कहेंगे कि भाजपा और कांग्रेस मिली हुई हैं। यही कारण है कि उन्हें भाजपा सरकार के भ्रष्टाचारों के खिलाफ जांच की मांग उठाने पर पार्टी से निकाल दिया गया। ऐसा कहकर सचिन जहां कांग्रेस पर सवाल खड़े करेंगे, वहीं भाजपा को भी घेरेंगे।