वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज :-बस मेरे पापा वापस दे दो और कुछ नहीं चाहिए... बेटी पवना के आंसू रुक नहीं रहे। बिलखते हुए कहती है - पिछली बार पापा आए थे तो लिंटर डालने की बात कर रहे थे। बिलखती मासूम बच्ची व पत्नी बिंदु के चित्कार से हर किसी की आंख नम थी।
राजोरी जिले की कोटरंका सब डिवीजन के केसरी हिल इलाके में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन में पांच जवान शहीद हो गए। दरअसल आतंकियों की मौजूदगी की सूचना पर सुबह से ही मुठभेड़ चल रही थी। सर्च ऑपरेशन के दौरान दहशतगर्दों की ओर से बिछाई गई आईईडी विस्फोट में मेजर समेत छह जवान गंभीर रूप से घायल हो गए। सुबह ही दो जवानों ने दम तोड़ दिया, जबकि तीन ने उधमपुर कमान अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ा। आतंकी संगठन पीपुल्स अगेनस्ट फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ) ने घटना की जिम्मेदारी ली है।
राजोरी के कंडी क्षेत्र में शुक्रवार को आतंकियों से हुई मुठभेड़ में ज्यौड़ियां के गांव चक किरपाल पुर (दलपत) निवासी नीलम सिंह पुत्र गुरदेव सिंह चिब शहीद हो गए है। बेटे की शहादत की सूचना के बाद गांव में मातम है। शहीद नीलम सिंह सेना की नौ पैरा कमांडो में तैनात था। हमले में उत्तराखंड के रुचिन सिंह रावत पुत्र राजेन्द्र सिंह, ग्राम कुनीगढ़, तहसील गैरसैंण निवासी भी शहीद हुए हैं।
आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन में हिमाचल प्रदेश के दो जवानों ने भी शहादत दी है। सिरमौर जिले के शिलाई गांव के प्रमोद नेगी और कांगड़ा जिले के विकास खंड सुलह के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत मरूहं के गांव चट्टियाला के अरविंद कुमार (33) शहीद हुए हैं। इसके अलावा, सिद्धांत क्षेत्री पुत्र खड़का बहादुर, जिला - दार्जिलिंग और पश्चिम बंगाल शामिल हैं।
ज्यौड़ियां के गांव चक किरपाल पुर (दलपत) निवासी नीलम सिंह शादीशुदा है और उसकी एक बेटी पवना देवी और बेटा अखिल सिंह है। छह मई को शहीद का दरिया चिनाब के किनारे पर अंतिम संस्कार किया जाएगा। इससे पहले क्षेत्र के लोगों की तरफ से बाइक रैली निकाली जाएगी, जो शहीद नीलम सिंह के पार्थिव शरीर के साथ अखनूर से शहीद के घर तक जाएगी।
मासूम पवना को बिलखते देखकर चक किरपालपुर में हर किसी की आंख हुई नम
बस मेरे पापा वापस दे दो और कुछ नहीं चाहिए... बेटी पवना के आंसू रुक नहीं रहे। बिलखते हुए कहती है - पिछली बार पापा आए थे तो लिंटर डालने की बात कर रहे थे। बिलखती मासूम बच्ची व पत्नी बिंदु के चित्कार से हर किसी की आंख नम थी।
यह गमगीन माहौल राजोरी में शुक्रवार को आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए ज्यौड़ियां के गांव चक किरपालपुर (दलपत) निवासी नीलम सिंह के घर बना था। बेटे की शहादत की खबर पहुंचते ही गांव में मातम छा गया। नीलम सेना की नौ पैरा कमांडो में तैनात थे। उनकी एक बेटी पवना देवी और बेटा अखिल सिंह है।
बेटे की शहादत की खबर देने से कतराते रहे लोग
शहीद नीलम सिंह के शहीद होने की खबर पहुंचते ही पूरे गांव में मातम है। कोई भी नीलम के शहीद होने की खबर परिजनों को बताने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। लेकिन बाद में घर के आसपास लोगों की भीड़ देखकर परिजनों को अंदेशा होने लगा।
जानकारी मिलते ही बुजुर्ग पिता, शहीद की पत्नी और बच्चे बिलखने लगे। नीलम की माता का पहले ही निधन हो चुका है। परिवार में उनके पिता गुरदेव सिंह, पत्नी बिंदु देवी, छोटा भाई अंगद सिंह, बेटी पवना देवी, बेटा अखिल सिंह हैं।
18 महीनों में चौथी बार गुफाओं की आड़ में सेना पर हुआ हमला
आतंकियों के लिए मुफीद बनीं राजोरी-पुंछ की गुफाएं सेना और खुफिया एजेंसियों के लिए पहेली बन गई हैं। यूं कहा जाए कि पिछले 18 महीनों से इन गुफाओं के भेद को अभेद करने में तमाम सुरक्षा एजेंसियां असफल हो गई हैं।
पिछले 18 महीनों में भाटादूड़िया के जंगलों में आतंकी आराम से गुफाओं में छिपकर वारदातों को अंजाम दे रहे हैं, लेकिन एक भी आतंकी न तो मारा गया और न ही पकड़ा गया। 11 अक्तूबर 2021 से भाटादूड़िया में छिपे आतंकी अब तक भारतीय सेना के 19 जवानों को शदीद कर चुके हैं। घात लगाकर हमला करना हो या फिर मुठभेड़।
चार बार ऐसा हो चुका है, लेकिन एक भी आतंकी अब तक नहीं मारा गया। इससे साफ है कि आतंकियों को गुफाओं से बाहर निकालने में कामयाबी नहीं मिल रही। जबकि आतंकी हर बार सेना को एक बड़ा जख्म दे जाते हैं।
18 माह में छह हमले, 19 जवानों के साथ 28 की गई जान...बता दें कि 11 अक्तूबर, 2021 को भाटादूड़ियां के जलंग में छिपे आतंकियों ने सर्च कर रहे सेना के दल पर हमला कर दिया था। अब तक 18 महीने बीत जाने के बाद भी इन आतंकियों का पता नहीं चला है।
11 अक्तूबर से लेकर अब तक पुंछ और राजोरी में आतंकियों ने छह हमलों को अंजाम दिया है। इनमें 19 जवान शहीद हुए। नौ नागरिकों की जान गई, जबकि एक भी आतंकी नहीं मारा गया है।