वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज :-13 जून 1997 को दिल्ली के उपहार सिनेमा में भीषण आग लग गई थी, जिसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी
सुप्रीम कोर्ट ने उपहार सिनेमा की सील हटाने और इसकी कस्टडी वापस देने के लिए अंसल ब्रदर्स द्वारा दायर याचिका पर गुरुवार को सुनवाई की। सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने निचली अदालत से दस सप्ताह के भीतर इस मामले में फैसला लेने को कहा।
क्या है मामला?
13 जून 1997 को दिल्ली के उपहार सिनेमा में भीषण आग लग गई थी, जिसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें 23 बच्चे थे। इस दिन उपहार सिनेमा में फिल्म 'बॉर्डर' लगी थी। यह फिल्म की रिलीज का पहला दिन था। चूंकि फिल्म देशभक्ति से जुड़ी थी इसलिए भीड़ भी ज्यादा थी। लेकिन दोपहर का शो देखने वाले दर्शकों के लिए यह दिन जीवनभर का दर्दनाक अनुभव दे गया। दोपहर करीब 4.55 बजे सिनेमा हॉल की पार्किंग में आग लग गई। धुआं फैलना शुरू हुआ। धीरे-धीरे यह सिनेमा हॉल में पहुंच गया। हालात बिगड़ने शुरू हुए और लोग भागने लगे। कुछ तेजी के साथ ग्राउंड फ्लोर से बाहर निकलने लगे। कुछ इस कदर डरे हुए थे कि ऊपरी मंजिले की खिड़कियों से ही कूदना शुरू कर दिया। कई लोग अंदर ही फंस गए। धीरे-धीरे आग बढ़ने लगा और लोग इसकी चपेट में आने लगे।
16 लोगों को बनाया गया था अभियुक्त
मामला अदालत पहुंचा। हॉल में काम करने वाले स्टाफ, सेफ्टी इंस्टपेक्टर से लेकर मालिक अंसल ब्रदर्स समेत 16 लोगों को अभियुक्त बनाया गया। इसमें सबसे हाई प्रोफाइल नाम सिनेमा के मालिक सुशील और गोपाल अंसल थे। अदालत ने 2007 में सभी अभियुक्तों को दोषी पाया। तब तक इनमें से चार की मौत हो चुकी थी। इनमें से कइयों को सात महीने से लेकर सात साल तक की सजा सुनाई गई। अंसल ब्रदर्स को मात्र दो साल की जेल हुई। लेकिन जब दिल्ली हाई कोर्ट में सजा को चुनौती दी गई तो सजा बढ़ने की बजाय आधी हो गई। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और 2015 में इसका फैसला आया। यह फैसला और भी झटका देने वाला था। कोर्ट ने अंसल ब्रदर्स की जेल की सजा पूरी तरह माफ कर दी।