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  • Parliament Winter Session Live: संसद की कार्यवाही शुरू हुई, आज पेश हो सकती है आचार समिति की रिपोर्ट Parliament Winter Session 2023 Live News in Hindi: संसद के शीतकालीन सत्र का आज दूसरा दिन है। पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के मामले में घिरी टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ संसद की आचार समिति की रिपोर्ट आज संसद में पेश की जा सकती है। विपक्षी सांसदों की मांग है कि इस रिपोर्ट पर कोई भी फैसला लेने से पहले इस पर संसद में चर्चा होनी चाहिए। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि आचार समिति की रिपोर्ट में महुआ मोइत्रा को संसद सदस्यता से निष्कासित करने की सिफारिश की गई है।
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पूर्वोत्तर में चुनाव नतीजों के बाद क्षेत्रीय दलों के हौसले बुलंद,

वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:-अगप अध्यक्ष अतुल बोरा के अनुसार अगप ही असम के क्षेत्रीय हितों की रक्षा कर सकती है। अगप असम का सबसे पुराना क्षेत्रीय दल है। क्षेत्रीयतावाद की रक्षा के लिए ही अगप ने भाजपा के साथ हाथ मिलाया है।

पूर्वोत्तर के तीन राज्यों- मेघालय, त्रिपुरा और नगालैंड में क्षेत्रीय दलों के प्रदर्शन से क्षेत्रीय दलों के हौसले बुलंद हैं। चुनाव परिणामों से स्पष्ट है कि भारतीय जनता पार्टी क्षेत्रीय दलों की मदद से ही अपना जनाधार बढ़ा रही है। बहुमत भले ही मिला हो, लेकिन त्रिपुरा में टिपरा मोथा पार्टी ने पहली बार चुनाव लड़ा और 13 सीटों पर कब्जा कर लिया। भले ही भाजपा ने 32 सीटें जीतकर बहुमत पा लिया, लेकिन वहां पर भी भाजपा का गठबंधन इंडेजेनियसश पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा ने उसका साथ दिया है। मेघालय में नेशनलिस्ट पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) 26 सीटें लेकर पहले स्थान पर रही, जबकि दूसरी क्षेत्रीय पार्टी यूडीपी ने 11 स्थानों पर कब्जा किया है, भाजपा ने मात्र दो सीटें जीती हैं। नगालैंड में नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी)  ने 60 में से 25 सीटों पर कब्जा कर लिया। वहां पर भी भाजपा के साथ सरकार बनने जा रही है। पूर्वोत्तर में भाजपा की असली ताकत क्षेत्रीय दल है। असम में भी भाजपा असम गण परिषद और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरेशन के साथ सरकार चला रही है।

इन राज्यों के चुनावों में क्षेत्रीय दलों की सफलता से असम गण परिषद उत्साहित है।  असम गण परिषद ने लोकसभा चुनाव की तैयारी आरंभ कर दी है। गत चार मार्च को बोकाखात में कलियाबर लोकसभा के कार्यकर्ताओं की सभा ने अगप ने आगे की रणनीति स्पष्ट कर दी है। असम की सबसे ताकतवर क्षेत्रीय पार्टी ने अपनी ताकत दिखाने के लिए कार्यकर्ताओं की बैठक के बहाने अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। अगप अध्यक्ष अतुल बोरा के अनुसार अगप ही असम के क्षेत्रीय हितों की रक्षा कर सकती है। अगप असम का सबसे पुराना क्षेत्रीय दल है। क्षेत्रीयतावाद की रक्षा के लिए ही अगप ने भाजपा के साथ हाथ मिलाया है, क्योंकि मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा शर्मा ने असमियावाद को नए सिरे से परिभाषित किया है। 

अगप अगले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को असम से बाहर करने का प्रयास करेगी। उल्लेखनीय है कि कलियाबर सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है। इस बार इस सीट पर कांग्रेस को हराने की रणनीति बन रही है। अतुल बोरा ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिार्जुन खड़गे के बयान से साफ हो गया है कि कांग्रेस के लिए पूर्वोत्तर राज्यों के चुनाव का कोई महत्व नहीं है। यदि यही सच है कि तो पूर्वोत्तर में कांग्रेस के रहने का कोई मतलब नहीं है। उनका आरोप है कि खड़गे ने पूर्वोत्तर का अपमान किया है और उन्हें अपना बयान वापस लेना चाहिए। 

अगप के कार्यकारी अध्यक्ष केशव महंत ने कहा कि कार्यकर्ताओं की निष्ठा और परिकल्पना पर ही पार्टी का भविष्य निर्भर है। उन्होंने कहा कि पंचायत और लोकसभा चुनाव में दल के हर  कार्यकर्ता को एक योद्धा के रूप में काम करना होगा। तभी अगप अपने विजय पथ पर आगे बढ़ पाएगी। अगले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अगप की यह सभा महत्वपूर्ण है। पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के चुनाव परिणामों से स्पष्ट हो गया कि भारतीय जनता पार्टी क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर आगे बढ़ रही है। इन राज्यों में सत्ता का समीकरण पूर्ववत रहेगा।  यानी त्रिपुरा  और नगालैंड में भाजपा गठबंधन सरकार का गठन होगा। हालांकि त्रिपुरा में भाजपा ने अकेले बहुमत प्राप्त कर लिया है। वहीं मेघालय में कोनराड संगमा के नेतृत्व वाली एनपीपी की अगुवाई में सरकार का गठन होगा और सरकार में भाजपा भी शामिल होगी। 

पूर्वोत्तर राज्यों में भाजपा ने क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर ही अपनी पैठ बनाई है। यदि त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय के चुनाव परिणामों को देखें तो नगालैंड में नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है और भाजपा के साथ मिलकर उसने बहुमत पा लिया है। एनडीपीपी ने चालीस सीटों पर और भाजपा ने बीस सीटों पर चुनाव लड़ा था। लेकिन एनडीपीपी ने भाजपा उम्मीदवार को राज्यसभा भेजा था।भाजपा के सहयोग से एनडीपीपी के नेफ्यू रियो फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे। क्षेत्रीय दल के साथ मिलकर ही भाजपा नगालैंड में लगातार आगे बढ़ रही है। एक क्षेत्रीय दल के साथ राष्ट्रीय दल मिल जाने से क्षेत्रीय समस्याओं को सुलझाने का राष्ट्रीय नजरिया मिल जाता है। इसी कारण से नगालैंड का माहौल बदल रहा है। 

कांग्रेस के साथ दिक्कत यह है कि पूर्वोत्तर के क्षेत्रीय दल उसके साथ गठबंधन नहीं करना चाहते। पूर्वोत्तर के सभी क्षेत्रीय दलों का गठन कांग्रेस को चुनौती देने के लिए किया गया था। असम में असम गण परिषद ने काफी दिनों तक अकेले कांग्रेस को चुनौती दी और दो बार अपनी सरकार बनाई लेकिन भाजपा ने आरंभ से ही क्षेत्रीय दलों का सहयोग किया और उसके साथ मिलकर आगे बढ़ने की कोशिश की। मिजोरम में भले ही भाजपा का खाता नहीं खुला है, लेकिन वह सत्ताधारी मिजो नेशनल फ्रंट एनडीए में शामिल है। 

अगप नेता ने कहा कि क्षेत्रीय दलों को भी अपना वजूद बनाकर रखना होगा, तभी भाजपा उनके साथ चलेगी, वर्ना भाजपा आगे बढ़ जाएगी। मेघालय में भाजपा ने सत्ता के करीब पहुंचने के लिए पूरा जोर लगा दिया था। मेघालय के सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे और एनपीपी के साथ  कोनराड संगमा पर राजनीतिक हमले हुए, बावजूद इसके परिणाम आने के बाद सरकार के गठन में भाजपा पूरा सहयोग करने का मन बन चुकी है। वैसे कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने अपने स्तर पर बेहतर प्रदर्शन किया। इस बार मेघालय और त्रिपुरा में कांग्रेस को पांच-पांच सीट हासिल हुईं। कांग्रेस को वापसी के लिए भाजपा से चुनावी रणनीति की सीख लेने की जरूरत है। क्षेत्रीय दलों के साथ बेहतर प्रबंधन के साथ हर चुनाव को गंभीरता से लेना होगा।