वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:-नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जिंदगी के आसपास के रहस्यों में से एक और रहस्य 1949-50 में रक्षा मंत्रालय के लिए 'आईएनए के इतिहास' पर लिखी गई एक पुस्तक के रूप में सामने आया है। जो कि अभी प्रकाशित नहीं हुई है।
पूरे देश में आज महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती मनाई जा रही है। लोग उनकी प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ-साथ उनकी वीरगाथा को याद कर रहे हैं। आज के दिन को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। लेकिन इन सब के बीच नेताजी की जिंदगी के आसपास के रहस्यों में से एक और रहस्य 1949-50 में रक्षा मंत्रालय के लिए 'आईएनए के इतिहास' पर लिखी गई एक पुस्तक के रूप में सामने आया है। जो कि अब तक प्रकाशित नहीं हो सकी है।
दिवंगत प्रोफेसर प्रतुल चंद्र गुप्ता के नेतृत्व में इतिहासकारों की एक टीम द्वारा संकलित पांडुलिपि को बोस पर शोधकर्ताओं द्वारा जनता के लिए जारी करने का प्रयास केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय को आश्वासन दिया गया था कि वह इसे 2011 के जुलाई के अंत तक प्रकाशित कर देगी। लेकिन यह संभव नहीं हो सका।
लेकिन अब इसकी प्रति सामने आई है जिसे टीएमसी सांसद सुखेंदु शेखर रे ने समाचार एजेंसी पीटीआई से साझा किया है। हालांकि इसमें कितनी सच्चाई है इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती है। इसमें कहा गया है कि पांडुलिपि के प्रकाशन से इस क्षेत्र में किसी भी देश के साथ भारत के संबंधों पर प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन नेताजी बोस की मृत्यु से संबंधित पृष्ठ (186-191) अधिक विवादास्पद होने की संभावना है। लेकिन इस प्रति में भी यही लिखा है कि सुभाष चंद्र बोस विमान दुर्घटना से जीवित बच गए हों। हालांकि पूरी किताब के प्रकाशन के बाद ही रहस्य का खुलासा हो सकेगा।
टीएमसी सांसद ने कहा कि उनके साथी, आबिद हसन सहित चश्मदीद गवाहों ने गवाही दी है कि बोस की मृत्यु 18 अगस्त, 1945 को ताइपे में एक हवाई दुर्घटना में हुई थी, हालांकि कुछ लोगों को इस पर संदेह है, जिसमें जांच के तीन आधिकारिक आयोगों में से एक शामिल है। रे ने कहा कि मैंने जनवरी 2021 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को यह सब इंगित करते हुए लिखा था और पुस्तक के विमोचन की गुहार लगाई थी। आज तक कोई समाधान नहीं हुआ है।उन्होंने यह भी बताया कि निष्कर्ष में यह कथित नोट यह भी कहता है कि विदेश मंत्रालय को इस तरह के प्रकाशन के लिए राजनीतिक दृष्टिकोण से कोई आपत्ति नहीं हो सकती है।