वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:-पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने आरोप लगाया कि पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा ने ‘एस्टेब्लिशमेंट’ में जो ढांचा बनाया, वही अभी भी काम कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह ढांचा देश में ‘कानून का राज’ नहीं चाहता है...
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने नए साल के पहले दिन देश की सेना और पूर्व शासकों पर ऐसे हमले किए, जिससे पाकिस्तान की करतूतों की पोल भी खुली है। उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा ने ‘एस्टेब्लिशमेंट’ में जो ढांचा बनाया, वही अभी भी काम कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह ढांचा देश में ‘कानून का राज’ नहीं चाहता है।
लेकिन इमरान यहीं तक नहीं रुके। उन्होंने पूर्व सैनिक तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ को भी घेरे में लिया और इल्जाम लगाया कि जनरल मुशर्रफ ने ‘आतंकवाद की बिक्री कर करोड़ो डॉलर कमाए’। विश्लेषकों के मुताबिक पूर्व प्रधानमंत्री के ताजा बयान को अंतरराष्ट्रीय जगत में इस बात की पुष्टि के रूप में देखा जाएगा कि पाकिस्तान दुनिया में आतंकवाद का निर्यात करता रहा है। इमरान खान ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए आरोप लगाया कि जनरल मुशर्रफ की गतिविधियों के कारण लगभग 80 हजार लोगों की जान गई।
इमरान खान को पिछले वर्ष अप्रैल में नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाने के कारण प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा था। तब से वे आरोप लगाते रहे हैं कि उनकी सरकार गिराने की साजिश ‘एस्टेब्लिशमेंट’ ने विदेशी शह पर रची। पाकिस्तान में और सेना और खुफिया तंत्र के नेतृत्व को ‘एस्टेब्लिशमेंट’ के नाम से जाना जाता है। खान ने अपना इल्जाम दोहराया कि जनरल बाजवा देश में जवाबदेही लागू करने की उनकी कोशिशों को पसंद नहीं करते थे, इसलिए वे उनके खिलाफ हो गए। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार गिराने के लिए जनरल बाजवा ने हुसैन हक्कानी को ‘किराये पर लिया।’
हुसैन हक्कानी अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रह चुके हैं और अमेरिका में काफी पैठ बताई जाती है। इमरान खान ने कहा कि जनरल बाजवा ने हक्कानी के जरिए अमेरिका में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार के खिलाफ लॉबिंग कराई। इमरान ने कहा- जबकि हक्कानी वे शख्स हैं, जिन्होंने 2011 में एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद अमरिका से पाकिस्तानी सेना के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी। पूर्व प्रधानमंत्री ने यह इल्जाम भी लगाया कि राजदूत रहते हुए हक्कानी ने बिना उचित प्रक्रिया का पालन किए और संबंधित अधिकारियों को अवहेलना करते हुए अमेरिकी नागरिकों को वीजा जारी किए। ऐसा कर हक्कानी ने काफी पैसा बनाया।
देश के मौजूदा संकट का जिक्र करते हुए इमरान खान ने कहा कि उनकी पार्टी पीटीआई मौजूदा नेशनल असेंबली में हिस्सा नहीं लेगी। उन्होने कहा कि इसके लिए किए जा रहे तमाम प्रयास विफल रहेंगे। उन्होंने कहा कि देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव ही इस संकट का अकेला समाधान है और उससे ही देश में स्थिरता आ सकती है।
विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी पर हमला बोलते हुए इमरान खान ने कहा कि उन्हें अफगानिस्तान के बारे में कोई जानकारी नहीं है। भुट्टो जरदारी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता हैं, जो शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाले सत्ताधारी गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक एलायंस (पीडीएम) में शामिल दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। खान ने कहा कि पीटीआई सरकार ने ऐसी विदेश नीति अपनाई थी, जिससे अफगानिस्तान की मौजूदा तालिबान सरकार के साथ वह सद्भावपूर्ण रिश्ते रख पाई।