वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:-ले. कर्नल पुरोहित ने एनआईए की विशेष कोर्ट द्वारा 2008 के मालेगांव धमाका मामले में उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर करने को चुनौती दी थी। उन्होंने केस में उन्हें आरोप मुक्त करने की मांग की थी।
मालेगांव धमाका मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित की अर्जी खारिज कर दी। पुरोहित ने एनआईए के आदेश के खिलाफ अपील की थी।
ले. कर्नल पुरोहित ने एनआईए की विशेष कोर्ट द्वारा 2008 के मालेगांव धमाका मामले में उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर करने को चुनौती दी थी। उन्होंने केस में उन्हें आरोप मुक्त करने की मांग की थी। लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित मालेगांव धमाका मामले में मुख्य आरोपी हैं। धमाके में छह लोग मारे गए थे और 101 से अधिक घायल हुए थे।
पुरोहित ने याचिका में कहा था कि उन पर केस चलाने के लिए भारतीय सेना से मंजूरी नहीं ली गई, जबकि सीआरपीसी की धारा 197(2) के तहत यह मंजूरी लेना जरूरी था। इसके विपरीत एनआईए ने कहा कि किसी मंजूरी की जरूरत नहीं थी, क्योंकि ले. कर्नल पुरोहित उस वक्त सेना की ड्यूटी नहीं निभा रहे थे।
मालेगांव धमाका मामले में ले. कर्नल पुरोहित, भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर व 5 अन्य आरोपी हैं। पुरोहित को 2008 में गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 2017 में जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था। मामले के सारे आरोपी अभी जमानत पर हैं।
बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस एएस गडकरी व जस्टिस प्रकाश नाइक की पीठ ने पुरोहित की अर्जी खारिज करते हुए कहा कि मुकदमे के लिए सेना की मंजूरी की जरूरत नहीं थी, क्योंकि वह कोई सरकारी काम नहीं कर रहे थे।
प्रज्ञा ठाकुर के नाम पंजीबद्ध थी मोटर साइकिल
29 सितंबर 2008 को मालेगांव में एक मस्जिद के पास मोटर साइकल में बम धमाका हुआ था। मालेगांव महाराष्ट्र के नासिक जिले का संवेदनशील कस्बा है। महाराष्ट्र पुलिस ने मामले की आरंभिक जांच की थी। उसने पाया था कि धमाके में इस्तेमाल की गई मोटर साइकिल प्रज्ञा ठाकुर के नाम पंजीकृत थी। बाद में इस मामले की जांच एनआईए को सौंपी गई थी।