वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:-संघ प्रमुख मोहन भागवत ने दशहरे पर नागपुर में आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए जनसंख्या वृद्धि को देश की स्थिरता के लिए खतरनाक बताया। उन्होंने कहा कि जनसंख्या असंतुलन से देश के विभाजन का खतरा पैदा होता है। संघ की इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए दत्तात्रेय होसबोले ने प्रयागराज में जनसंख्या नियंत्रण के लिए देश में एक कानून की जरूरत बताई...
साल 2022 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) कई कारणों से चर्चा में रहा। RSS प्रमुख मोहन भागवत ने मुस्लिम इमाम से मस्जिद में जाकर मुलाकात की, तो इसे भगवा खेमे की मुसलमानों को रिझाने की कोशिश के तौर पर देखा गया। आलोचकों ने प्रश्न किया कि यदि यह सही है, तो अब तक यही खेमा कांग्रेस पर मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप किस आधार पर लगाता रहा। दशहरे पर संघ ने संतोष यादव को नागपुर के मुख्य कार्यक्रम में बुलाकर एक पहल करने का संकेत दिया। संघ नेताओं के सोशल मीडिया प्रोफाइल पर डीपी लगाने का मुद्दा भी गरमाया और जनसंख्या नियंत्रण विषय पर संघ ने कठोर रुख भी दिखाया, जिसके कारण इस मुद्दे पर खूब चर्चा हुई। संघ ने संकेत दे दिया है कि वह आने वाले समय में भारत की एक नई तस्वीर बनाना चाहता है, जिसके एजेंडे पर लगातार काम किया जा रहा है और इसके लिए देश के हर वर्ग को साधने की कोशिश भी की जा रही है।
जनसंख्या नियंत्रण कानून
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने दशहरे पर नागपुर में आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए जनसंख्या वृद्धि को देश की स्थिरता के लिए खतरनाक बताया। उन्होंने कहा कि जनसंख्या असंतुलन से देश के विभाजन का खतरा पैदा होता है। संघ की इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए दत्तात्रेय होसबोले ने प्रयागराज में जनसंख्या नियंत्रण के लिए देश में एक कानून की जरूरत बताई। कई शीर्ष भाजपा नेताओं ने भी इस तरह के कानून की आवश्यकता बताई। इससे ये कयास लगाए जाने लगे हैं कि देर-सबेर केंद्र की भाजपा सरकार जनसंख्या नियंत्रण कानून ला सकती है। चर्चा यह है कि इस कानून के निशाने पर मुसलमान हो सकते हैं, जिनकी बढ़ती आबादी से भगवा खेमा चिंतित है। हालांकि, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट और संसद सहित कई महत्त्वपूर्ण अवसरों पर इस तरह के कानून की आवश्यकता न होने की बात कही है।
संघ में महिलाओं का सम्मान
वामपंथी नेता हमेशा इस बात के आरोप लगाते रहे हैं कि आरएसएस में महिलाओं की भागीदारी नहीं है। वे संघ को पुरुषवादी मानसिकता का संगठन बताते रहे हैं। इस साल जब नागपुर में संघ के कार्यक्रम में पद्मश्री संतोष यादव को सम्मानित किया गया, तब इसे संघ की महिलाओं के प्रति बढ़ते कदम के रूप में देखा गया। हालांकि, संघ नेताओं ने बताया कि आजादी के पहले समय से ही उनके संगठन में महिला स्वयंसेवक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती रही हैं। राष्ट्र सेविका समिति का गठन 1936 में ही कर दिया गया था, जिससे जुड़कर महिलाएं आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेती आई हैं। अखिल भारतीय महिला परिषद की अध्यक्ष राजकुमारी अमृत कुंवर और राज्य विधानसभा की उपसभापति अनसूइया बाई 28 दिसंबर 1937 को नागपुर में संघ के एक कार्यक्रम में शामिल हुई थीं।
इमाम से मोहन भागवत की मुलाकात
आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने 22 सितंबर को दिल्ली में ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के मुख्य इमाम डॉ. इमाम अहमद उमर से मुलाकात की। संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी रामलाल की पहल पर हुई इस मुलाकात को आरएसएस की मुसलमानों से संबंध ठीक करने की कोशिश के तौर पर देखा गया। संघ के आलोचकों ने इसे बदलते समय की रणनीति बताया, लेकिन संघ पदाधिकारियों ने बताया कि उनके नेता इसके पहले भी समय-समय पर मुस्लिम समुदाय के प्रमुख लोगों से मुलाकात करते रहे हैं। उनका मानना रहा है कि 20 करोड़ से ज्यादा की मुस्लिम आबादी को साथ लिए बिना देश की प्रगति संभव नहीं है।
होसबोले के बयान पर विवाद
संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने अक्तूबर में एक कार्यक्रम के दौरान गरीबी-महंगाई को सबसे बड़ा राक्षस बताया। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि संघ नेता इसके पहले कभी गरीबी-महंगाई जैसे मुद्दों पर नहीं बोलते थे, लेकिन पहली बार उन्हें इस मुद्दे पर भी बोलना पड़ रहा है। कांग्रेस ने इसे राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का परिणाम बताया। हालांकि, संघ नेताओं ने कहा कि स्वदेशी जागरण मंच, सेवा भारती और सेविका समिति जैसे उनके अनेक संगठनों में युवाओं-महिलाओं को कार्यकुशल बनाकर आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा लगातार दी जाती है और यह विषय उनके लिए नया नहीं है।
दलित युवाओं को शाखाओं में आने का निमंत्रण
मोहन भागवत ने 9 अक्तूबर को कानपुर में महर्षि वाल्मीकि के जन्मोत्सव पर आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने दलित-वाल्मीकि समुदाय के युवाओं को संघ की शाखाओं में ज्यादा से ज्यादा आने का निमंत्रण दिया। संघ प्रमुख के इस बयान पर भी कुछ दलित नेताओं ने टिप्पणी की और इसे बदलते समय में भाजपा के लिए वोटों की राजनीति करार दिया। लेकिन संघ नेताओं का कहना था कि संघ की स्थापना के समय से ही हिंदू समाज के हर वर्ग के लोग उनकी शाखाओं में आते रहे हैं और संगठन के कई शीर्ष पदों पर कार्य करते रहे हैं। ऐसे में यह बयान केवल बदलते समय में ज्यादा युवाओं को संघ से जोड़ने की एक कोशिश ही था। इसे किसी नई पहल के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए।
तिरंगा डीपी पर विवाद
15 अगस्त 2022 के मुख्य कार्यक्रम के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल पर अपनी डीपी तिरंगे में रंगने की अपील की। उन्होंने स्वयं अपनी डीपी में तिरंगा लगाया। लेकिन उनकी अपील के कुछ समय बाद तक आरएसएस और मोहन भागवत के ट्विटर हैंडल पर तिरंगा न लगने से विवाद गहरा गया। आलोचकों ने कहा कि संघ तिरंगे का सम्मान नहीं करता। लेकिन बाद में संघ की मुख्य सोशल मीडिया हैंडल के साथ-साथ सभी संघ नेताओं ने अपनी डीपी पर तिरंगा लगाकर इस विवाद को समाप्त कर दिया।