Thursday June 26, 2025
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  • वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:- जम्मू कश्मीर रिजर्वेशन एक्ट हो सकता है लोकसभा में पेश शीत कालीन सत्र के दूसरे दिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जम्मू कश्मीर रिजर्वेशन एक्ट 2004 और जम्मू कश्मीर रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट 2019 को आज लोकसभा में पेश कर सकते हैं। रिजर्वेशन एक्ट से राज्य सरकार की नौकरियों, कॉलेज एडमिशन में आरक्षण व्यवस्था लागू हो सकेगी। वहीं जम्मू कश्मीर रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट 2019 की मदद से जम्मू कश्मीर और लद्दाख का पुनर्गठन किया जाएगा। इसकी मदद से जम्मू कश्मीर में विधानसभा सीटें 83 से बढ़कर 90 हो जाएंगी। साथ ही सात सीटें अनुसूचित जाति और 9 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए भी आरक्षित की जाएंगी।
  • Parliament Winter Session Live: संसद की कार्यवाही शुरू हुई, आज पेश हो सकती है आचार समिति की रिपोर्ट Parliament Winter Session 2023 Live News in Hindi: संसद के शीतकालीन सत्र का आज दूसरा दिन है। पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के मामले में घिरी टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ संसद की आचार समिति की रिपोर्ट आज संसद में पेश की जा सकती है। विपक्षी सांसदों की मांग है कि इस रिपोर्ट पर कोई भी फैसला लेने से पहले इस पर संसद में चर्चा होनी चाहिए। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि आचार समिति की रिपोर्ट में महुआ मोइत्रा को संसद सदस्यता से निष्कासित करने की सिफारिश की गई है।
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  • इंदौर हादसा: CM शिवराज बोले- 10 लोगों को बचाया जा चुका, 9 अब भी फंसे हुए
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  • इंदौर: बेलेश्वर महादेव मंदिर में बावड़ी के ऊपर की छत गिरी, कई फुट गहराई में फंसे लोग
  • इंदौर में रामनवमी पर बड़ा हादसा, मंदिर की छत धंसी, कुएं में गिरे लोग, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
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अपराधियों की पहचान से जुड़ा नया विधेयक लोकसभा में पास, 5 पॉइंट में समझें


वॉयस ऑफ़ ए टू जेड न्यूज़:-Criminal Procedure (Identification) Bill: अमित शाह का कहना है 'नई पीढ़ी के अपराधों से पुराने तरीकों के जरिए नहीं निपटा जा सकता।
हमें आपराधिक न्याय प्रणाली को अगले युग में ले जाने की कोशिश करनी चाहिए।'
दंड प्रक्रिया (शिनाख्त) विधेयक लोकसभा में पारित हो गया है। कहा जा रहा है कि यह कैदियों की पहचान अधिनियम 1920 की जगह लेगा।
सोमवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सांसदों की तरफ से उठाई गई परेशानियों के जवाब दिए। इधर, विपक्ष ने विधेयक को 'बेरहम' बताया है।
कई विपक्षी सदस्यों ने मांग की है कि इस विधेयक को स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए।
शाह ने यह भी कहा कि जो लोग मानवाधिकार का हवाला दे रहे हैं, उन्हें बलात्कार के पीड़ितों के मानवाधिकार के बारे में भी सोचना चाहिए।
उन्होंने कहा, 'उन्हें (विपक्ष) को केवल बलात्कारियों, लुटेरों की चिंता है... लेकिन केंद्र कानून का पालन करने वाले नागरिकों के मानवाधिकार की चिंता करता है।'
विधेयक के बारे में पांच पॉइंट्स में जानें-
यह विधेयक पुलिस और जेल अधिकारियों को दोषियों के रेटिना और आइरिस स्कैन समेत फिजिकल और बायोलॉजिकल सैंपल जुटाने, रखने और विश्लेषण करने की अनुमति देता है।
विधेयक में बताया गया है कि माप को 75 सालों तक रखा जा सकेगा।
विधेयक में हस्ताक्षर, लेखनी और सीआरपीसी की धारा 53 या 53ए के तहत किसी भी तरह की जांच समेत व्यवहार से जुड़ी विशेषताओं को कानूनी रूप से जुटाया जा सकता है।

इसके अनुसार, अगर दोषी मान लेने में किसी तरह का विरोध जताते हैं,
तो उसे आईपीसी की धारा 186 के तहत अपराध माना जाएगा। साथ ही तीन महीने की सजा या 500 रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि जो लोग महिलाओं या बच्चों के खिलाफ अपराध में दोषी नहीं पाए गए हैं,
वे बायोलॉजिकल सैंपल देने से इनकार कर सकते हैं।
7 साल से कम सजा वाले अपराध के चलते हिरासत में लिए गए लोगों को भी यह अधिकार हासिल होगा।

केंद्रीय मंत्री शाह ने कहा कि ये प्रावधान केवल 'जघन्य अपराधों' के मामले में ही इस्तेमाल किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि कानून का लक्ष्य 'देश की कानून और व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत बनाना है।'
सोमवार को विपक्षी सांसदों ने विधेयक पर सवाल उठाए। सांसद मनीष तिवारी ने कहा को नागरिक स्वतंत्रता के खिलाफ बताया।
वहीं, बहुजन समाज पार्टी के दानिश अली ने कहा कि यह बिल 'देश को पुलिस राज्य में बदल सकता है
और इसका इस्तेमाल राजनीतिक प्रतिशोध को पूरा करने के लिए किया जा सकता है।' जबकि, शाह का कहना है,
'नई पीढ़ी के अपराधों से पुराने तरीकों के जरिए नहीं निपटा जा सकता। हमें आपराधिक न्याय प्रणाली को अगले युग में ले जाने की कोशिश करनी चाहिए।