वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:-
नई दिल्ली- भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को बेल्जियम में गिरफ्तार किया गया। जांच एजेंसियों की सात साल की मेहनत के बाद वो आखिरकार पकड़ा गया।
हीरा व्यापारी और गीतांजलि समूह के मालिक पर अपने भतीजे नीरव मोदी, उसकी पत्नी अमी मोदी और भाई नीशाल मोदी के साथ सरकारी बैंक पंजाब नेशनल बैंक से करीब 13,500 करोड़ रुपये के गबन का आरोप है। वो साल 2018 में भारत से भाग गया था। इसके बाद उसने एंटीगुआ जाकर भारत की नागरिकता ले ली थी।
इलाज के बहाने एंटीगुआ भाग गया था चोकसी-
मेहुल चोकसी को साल 2021 में अवैध प्रवेश के डोमिनिकन गणराज्य में गिरफ्तार भी कर लिया गया था। उसी हिरासत को संरक्षित करने के लिए CBI की एक टीम भी वहां पहुंची थी। हालांकि, उसके वकीलों ने डोमिनिकन कोर्ट में दलील दी की मेहुल को इलाज के लिए एंटीगुआ लौटने की जरूरत है।
उसके वकीलों ने आश्वासन भी दिया था कि वो स्वस्थ होने के बाद मुकदमे का सामना करने के लिए वापस आ जाएगा। बाद में डोमिनिकन गणराज्य में उसके खिलाफ अवैध प्रवेश के आरोप को भी हटा दिया।
आठ साल तक जांच एजेंसी ने रखी उसपर नजर-
जब वो एंटीगुआ में रहता था, उस समय भी जांच एजेंसी के अधिकारियों ने उसपर कड़ी नजर रखी थी। इसी बीच जांच एजेंसी को पता चला को वो बेल्जियम फरार हो गया है। इसके बाद जांच एजेंसियों के अधिकारियों ने बेल्जियम सरकार को उसके धोखाधड़ी के मामले के दस्तावेज सौंपे।
आखिरकार बेल्जियम पुलिस ने उसे 12 अगस्त को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस को जानकारी मिली कि वो स्विट्जरलैंड भागने के फिराक में था। बता दें कि मेहुल चोकसी की पत्नी बेल्जियम की नागरिक हैं।
अब सवाल है कि क्या मेहुल चोकसी को भारत लाया जाएगा और जांच एजेंसियों को लिए कितनी बढ़ी चुनौती है भगोड़े को स्वदेश लाना?
बता दें कि भारत और बेल्जियम के बीच ब्रिटिश शासन के दौरान 1901 में ही प्रत्यर्पण संधि हुई थी। इसी आधार पर चोकसी पर शिकंजा कस गया है। हालांकि, चोकसी के वकील ने दलील दी है कि भारतीय जेलों में अमानवीय स्थिति है।
कानून के जानकारों के अनुसार, मेहुल चोकसी बेल्जियम में जमानत के लिए अर्जी दे सकता है और प्रत्यर्पण के भारत सरकार के आग्रह का विरोध कर सकता है।
मोहुल चोकसी ने आगे दलील दी है कि अभी तक भारत सरकार की तरफ से उसे ‘भगोड़ा आर्थिक अपराधी’ घोषित नहीं किया गया है।