वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:- स्ट्रेस या तनाव, मानसिक स्वास्थ्य विकार है जिसका जोखिम तेजी से बढ़ता हुआ देखा जा रहा है। युवा हों या बुजुर्ग, सभी उम्र के लोगों में इस विकार के मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी लोगों के लिए अपने शारीरिक स्वास्थ्य की ही तरह से मानसिक सेहत का ख्याल रखना भी जरूरी है। दोनों स्वास्थ्य एक दूसरे पर निर्भर होते हैं, यानी अगर आप स्ट्रेस-एग्जाइटी जैसी मानसिक समस्याओं के शिकार हैं, तो इसका असर शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करने वाले हो सकते हैं।
दुनियाभर में तेजी से बढ़ती मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में लोगों को जागरूक करने और मन को स्वस्थ रखने के उपायों के बारे में बताने के उद्देश्य से हर साल 10 अक्तूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। इस साल का थीम है- मानसिक स्वास्थ्य सभी लोगों का अधिकार है।
आइए जानते हैं कि ज्यादा स्ट्रेस लेने वाले लोगों में पाचन संबंधी दिक्कतों की समस्या क्यों अधिक देखी जाती रही है? इन दोनों रोगों का आपस में क्या संबंध हो सकता है?
तनाव के कारण पाचन तंत्र की समस्या
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, स्ट्रेस को हम सभी सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य की ही समस्या मानते आ रहे हैं, पर अगर यह लंबे समय तक बनी रहती है और इसका उपचार नहीं किया जाता है तो इसके कई शारीरिक स्वास्थ्य दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं।
स्ट्रेस और पाचन स्वास्थ्य विकार भी ऐसे ही हैं। अध्ययनों में पाया गया है कि हमारे मस्तिष्क का आंतों से गहरा संबंध होता है। तनाव, पाचन तंत्र के हर हिस्से को प्रभावित कर सकता है। हमारी, आंतें मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में सेंट्रल नर्वस सिस्टम के द्वारा नियंत्रित होती हैं, ऐसे में यदि आपको मानसिक स्वास्थ्य की समस्या होती है तो आपमें पाचन की दिक्कतें भी बढ़ने लगती हैं।
स्ट्रेस के कारण बढ़ता है पाचन का खतरा
जब हम तनावग्रस्त होते हैं, तो हमारा मस्तिष्क, सिंपैथिक नर्वस सिस्टम को सक्रिय कर देता है। यह शरीर को उन कार्यों को किसी खतरे से बचाने के लिए तैयार करता है, इसका पाचन स्वास्थ्य पर भी असर होता है। यही कारण है कि स्ट्रेस की समस्या में आपका पेट साफ नहीं होता है जिससे पेट दर्द, अपच, हार्ट बर्न और मतली जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। इतना ही नहीं, लंबे समय तक बनी रहने वाली स्ट्रेस की समस्या का पाचन स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक दुष्प्रभाव भी हो सकता है।
पाचन-स्ट्रेस एक दूसरे से संबंधित
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, अगर आप ज्यादा स्ट्रेस लेते हैं तो इसके कारण पाचन की समस्या हो सकती है, साथ ही पाचन की समस्याओं के कारण स्ट्रेस बढ़ने का भी खतरा रहता है। मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. टोरोसियन कहते हैं, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि तनाव की स्थिति में इंफ्लामेटरी बाउल डिजीज जैसी समस्याओं का खतरा नहीं होता है, हालांकि ये पाचन के लक्षणों को जरूर गंभीर बना सकती है। स्ट्रेस और ट्रॉमा के शिकार लोगों को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं के बारे में सावधानी बरतनी चाहिए।
स्ट्रेस को करें कंट्रोल
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी लोगों को स्ट्रेस को कंट्रोल करने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए। इससे सिर्फ पाचन ही नहीं, हृदय गति बढ़ने, रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल की भी दिक्कत हो सकती है। लंबे समय तक बने रहने वाली तनाव की समस्या के कारण हृदय रोगों का भी खतरा हो सकता है। तनाव की स्थिति में कोर्टिसोल हार्मोन रिलीज होता है, जिसकी अधिकता कई प्रकार की शरीरिक समस्याओं का जोखिम कारक है।
नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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