वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:-अध्ययन से पता चला कि चींटियां के आक्रमण के बाद क्षेत्र में जीवों की कुल संख्या करीब 42 प्रतिशत तक कम हो गई। वहीं प्रजातियों की विविधता में भी औसतन 53 प्रतिशत तक की कमी आई है।
यूनिवर्सिटी ऑफ कार्डिफ द्वारा किए नए अध्ययन से पता चला कि यह आक्रामक प्रवासी चींटियां, संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा करके और उनके शिकार के जरिये स्थानीय प्रजातियों की संख्या को 53 प्रतिशत तक कम कर सकती हैं। अंटार्कटिका को छोड़ दें तो करीब-करीब दुनिया के हर हिस्से में चींटियां पाई जाती हैं। चींटियां पारिस्थितिक तंत्र की स्थिरता को बनाए रखने में बेहद अहम भूमिका निभाती हैं।
इनकी आबादी को लेकर किए एक अध्ययन से पता चला है कि दुनिया भर में करीब 20,000 लाख करोड़ चींटियां हैं। दुनिया भर में इनकी 17,000 से ज्यादा प्रजातियां का पता चल चुका है। यह आक्रामक चींटियां वैश्विक व्यापार के जरिए इंसानों के द्वारा नए स्थानों तक पहुंची हैं। अपने गजब के अनुकूलन के जरिए यह दुनिया भर के अलग-अलग वातावरण में रहने के काबिल बनी हैं।
पारिस्थितिकी तंत्र के लिए जरूरी
शोधकर्ताओं का कहना है कि चींटियां बेहद सामाजिक जीव हैं और पारिस्थितिकी तंत्र को सुचारु बनाए रखने में मदद करती हैं। आमतौर पर आक्रामक चींटियां स्थानीय प्रजातियों का शिकार करके और उनसे प्रतिस्पर्धा करके उनके लिए चीजें मुश्किल बना देती हैं, जो उनकी विविधता को कम कर सकता है।
आक्रामक चींटियां बड़ी चुनौती
आक्रामक चींटियों का प्रभाव अलग-अलग स्थानों पर और विभिन्न प्रकार के जीवों के बीच भिन्न-भिन्न हो सकता है। जैसे पक्षी आक्रामक चींटियों से बहुत ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं, वहीं स्तनधारी या कीड़ों के कुछ समूह उतने ज्यादा प्रभावित नहीं होते। दुनिया के कई क्षेत्रों में जब मूल जैव विविधता को संरक्षित करने के प्रयासों को देखा जाए तो चींटियों का आक्रमण वास्तव में एक बड़ी चुनौती है।
-अध्ययन से पता चला कि चींटियां के आक्रमण के बाद क्षेत्र में जीवों की कुल संख्या करीब 42 प्रतिशत तक कम हो गई। वहीं प्रजातियों की विविधता में भी औसतन 53 प्रतिशत तक की कमी आई है।