वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज :-पूर्व केंद्रीय मंत्री सरकार के नौ साल पूरे होने पर उसके प्रदर्शन का 'महत्वपूर्ण मूल्यांकन' करने के लिए यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने यहां पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि एनडीए सरकार के नौ साल काम पर निशाना साधा।
कांग्रेस ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उसका कहना कि सरकार को जल्द ही चीन के साथ सीमा पर स्थिती को लेकर एक श्वेत पत्र जारी करना चाहिए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने मंगलवार को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन से लगी स्थिति पर तुरंत एक श्वेत पत्र प्रकाशित करने का आग्रह किया।
पूर्व केंद्रीय मंत्री सरकार के नौ साल पूरे होने पर उसके प्रदर्शन का 'महत्वपूर्ण मूल्यांकन' करने के लिए यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने यहां पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि एनडीए सरकार के नौ साल काम पर निशाना साधा।
पांच मानकों पर नहीं उतरे खरे
तिवारी ने कहा कि किसी भी सरकार को पांच मानकों पर खरा उतरना होता है। ये भारत की बाहरी सुरक्षा, अर्थव्यवस्था की स्थिति, सामाजिक सामंजस्य, आंतरिक सुरक्षा और दुनिया या इसकी विदेश नीति के साथ भारत के संबंध हैं। पिछले नौ सालों में इन सभी अहम मानकों पर एनडीए-भाजपा सरकार खरा नहीं उतर पाई।
चीन की घुसपैठ और बढ़ी
मनीष ने कहा कि भारत कई दशकों से बाहरी सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रही है। यहां तक की आज भी कोई सुधार नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों में चीन की घुसपैठ और बढ़ गई है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि दुर्भाग्य से चीनी घुसपैठ के बारे में देश के सामने खुलकर बोलने के बजाय सरकार ने सितंबर 2020 से संसद में इस मुद्दे पर एक भी चर्चा की अनुमति नहीं दी है। उन्होंने कहा कि संसद सदस्यों द्वारा यहां तक कि सत्तारूढ़ दल की ओर से भी उठाए गए सभी सवालों पर राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर विचार नहीं किया गया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि हम मांग करते हैं कि सरकार चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर क्या स्थिति है, कितने बफर जोन बनाए गए हैं, उनमें से कितने भारतीय क्षेत्र में हैं और कैसे हैं, इस पर तुरंत एक श्वेत पत्र प्रकाशित करें। उन्होंने कहा कि हमने बहुत से क्षेत्रों से अपना नियंत्रण खो दिया है। इसे लेकर भी स्पष्ट बयान जारी करना चाहिए।
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विदेश मंत्री पर दागे सवाल
भारत की विदेश नीति को लेकर तिवारी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से पूछा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत को स्थायी सीट मिलने पर पिछले नौ साल में कुछ भी क्यों नहीं हुआ। इसके अलावा उन्होंने पूछा कि भारत को अभी तक परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की सदस्यता क्यों नहीं मिली? ऐसा क्यों है कि 2015 से कोई सार्क शिखर सम्मेलन नहीं हुआ है? भारत के पड़ोस में बढ़ते चीनी प्रभाव का मुकाबला करने के लिए सरकार क्या कर रही है? और रूस-चीन से निपटने के लिए क्या भारत के पास कोई जवाबी रणनीति है?
आंतरिक सुरक्षा परिदृश्य पर बात करते हुए, पूर्व केंद्रीय मंत्री ने मणिपुर की स्थिति की ओर इशारा करते हुए कहा कि इतने दिनों के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य का दौरा करना उचित समझा है। उन्होंने सरकार से यह भी सवाल किया कि वह जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने से डरती क्यों है।
देश में आर्थिक स्थिति के बारे में बोलते हुए, कांग्रेस नेता ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति पूरे देश में घरेलू बजट के लिए सबसे बड़ी समस्या रही है। ईंधन की ऊंची कीमतों और अमीर व गरीब के बीच बढ़ती असमानता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने भाजपा सरकार पर यह आरोप लगाते हुए हमला किया कि यह रोजगार सृजन में विफल रही है। तिवारी ने कहा कि जिन राज्यों में भाजपा शासन कर रही है, वहां भी पार्टी ने प्रदर्शन के आधार पर चुनाव नहीं लड़ा है और कर्नाटक इसका ताजा उदाहरण है।