वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज :-बघेल ने कहा कि देश में सहनशील मुस्लिम गिनती के हैं और उन्हें ऊंगलियों पर गिना जा सकता है। उपराष्ट्रपति, राज्यपाल या कुलपति बनने के लिए वह रणनीति के तहत सहनशीलता का मुखौटा लगाते हैं।
केंद्रीय कानून एवं न्याय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने कुछ ऐसा कहा है, जिस पर हंगामा हो सकता है। दरअसल एसपी सिंह बघेल ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि मुसलमान, उपराष्ट्रपति या राज्यपाल बनने के लिए सहनशीलता का मुखौटा लगाते हैं। बघेल ने कहा कि देश में सहनशील मुस्लिम गिनती के हैं और उन्हें ऊंगलियों पर गिना जा सकता है। उपराष्ट्रपति, राज्यपाल या कुलपति बनने के लिए वह रणनीति के तहत सहनशीलता का मुखौटा लगाते हैं।
'रिटायरमेंट के बाद दिखता है असली चेहरा'
केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि जब ये लोग अपना कार्यकाल पूरा कर लेते हैं और रिटायर हो जाते हैं, तब उनका असली चेहरा सामने आता है। बता दें कि सोमवार को देव ऋषि नारद पत्रकार सम्मान समारोह के दौरान अपने संबोधन में एसपी सिंह बघेल ने यह बयान दिया। आरएसएस की मीडिया विंग इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया था। बघेल ने कहा कि 'सहनशील मुस्लिम ऊंगलियों पर गिने जा सकते हैं और मुझे लगता है कि उनकी संख्या हजारों में भी नहीं होगी।'
सूचना आयुक्त के दावे को किया खारिज
बघेल से पहले कार्यक्रम में मुख्य सूचना आयुक्त उदय माहुरकर ने अपने भाषण में कहा था कि भारत को इस्लामिक कट्टरवाद से लड़ाई लड़नी चाहिए लेकिन सहनशील मुस्लिमों को साथ लेकर चलने की जरूरत है। माहुरकर ने कहा कि हिंदू मुस्लिम एकता के लिए मुगल बादशाह अकबर ने काफी काम किए थे। माहुरकर ने दावा किया कि छत्रपति शिवाजी भी अकबर को सही मानते थे। हालांकि बघेल ने अपने भाषण में माहुरकर के इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया।
'हिंदू मुस्लिम एकता सिर्फ अकबर की रणनीति थी'
केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि 'वह अकबर की रणनीति थी और मुगल शासक की जोधा बाई से शादी करना भी उसकी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा था। हिंदू मुस्लिम एकता की बात अकबर के दिल से नहीं निकली थी वरना वह चित्तौड़गढ़ में नरसंहार नहीं कराता। उन्होंने कहा कि जब मैं मुगल शासनकाल के बारे में सोचता हूं तो हैरान रह जाता हूं कि किस तरह हम बच गए।' एसपी सिंह बघेल ने कहा कि साल 1192 में जब मुहम्मद गौरी ने राजपूत राजा पृथ्वीराज चौहान को हराया था तो तभी से भारत के बुरे दिन शुरू हो गए थे।
धर्मांतरण को लेकर कही ये बात
बघेल ने धर्मांतरण के मुद्दे पर भी बात की। उन्होंने कहा कि जितने लोग तलवार से भी धर्मांतरित नहीं हुए थे, उनसे ज्यादा लोग गंडे-ताबीज से धर्मांतरित हुए हैं। बघेल ने धर्मांतरण के मुद्दे पर भी बात की। उन्होंने कहा कि जितने लोग तलवार से भी धर्मांतरित नहीं हुए थे, उनसे ज्यादा लोग गंडे-ताबीज से धर्मांतरित हुए हैं। ख्वाजा गरीब नवाज साहब, निजामुद्दीन औलिया या सलीम चिश्ती की दरगाहों पर हमारे समाज के लोग ज्यादा जाते हैं। बघेल ने कहा कि अल्पसंख्यक समाज के लोग मानते हैं कि उनके पुरखों ने देश पर राज किया लेकिन असल समस्या गुणवत्तापूर्ण शिक्षा है और इसी से कुछ उपाय मिल सकता है।