वायस ऑफ़ ए टू जेड
सीता के मंदिर के निर्माण के लिए बने ट्रस्ट में प्रमुख भूमिका निभा रहे अजय भट्ट ने कहा कि सीतामढ़ी में मंदिर निर्माण की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। इसके लिए 25 एकड़ भूमि जुटा ली गई है और अलग-अलग स्तर पर मंदिर का निर्माण कार्य जारी है...
केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने कहा कि बिहार के सीतामढ़ी में माता सीता की 251 फ़ीट ऊंची प्रतिमा स्थापित होने से क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान मिलेगी। वहां अंतरराष्ट्रीय स्तर के पर्यटक आएंगे और स्थानीय लोगों के रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि इससे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि जिस तरह भगवान राम की पूजा करने से लोगों में धर्म-अधर्म और अपने कर्तव्यों के प्रति समझ बढ़ती है, उसी तरह माता सीता के पूजन से देश की बेटियां संस्कारवान होंगी।
सीता के मंदिर के निर्माण के लिए बने ट्रस्ट में प्रमुख भूमिका निभा रहे अजय भट्ट ने कहा कि सीतामढ़ी में मंदिर निर्माण की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। इसके लिए 25 एकड़ भूमि जुटा ली गई है और अलग-अलग स्तर पर मंदिर का निर्माण कार्य जारी है। उन्होंने बताया कि मंदिर में माता के सभी शक्तिपीठों की सूक्ष्म प्रतिमूर्ति स्थापित की जाएगी।
अयोध्या श्रीराम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने कहा कि आजकल देवताओं को भी जातियों के आधार पर बांटने की कुप्रथा शुरू हो गई है। लेकिन सौभाग्य है कि पृथ्वी मां के गर्भ से जन्म लेने के कारण सीता पर हर समाज, हर जाति और हर वर्ग का अधिकार है। उन्होंने कहा कि जब अयोध्या में राममंदिर निर्माण का कार्य शुरू हुआ, तब उनके सामने यही प्रश्न था कि यदि भगवान राम का मंदिर बन जायेगा, तब माता सीता की जन्मस्थली पर क्या होगा। इसी प्रेरणा से सीतामढ़ी में माता सीता की 251 फ़ीट ऊंची प्रतिमा स्थापित करने का निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि कई चरणों में यह कार्य सम्पन्न होगा। इसमें देश के सभी प्रमुख मंदिरों, शक्तिपीठों और देवस्थानों से मिट्टी-ज्योति लाकर मंदिर का निर्माण किया जायेगा।
माता सीता के जीवन के अलग-अलग कालखण्डों से जुड़े वृत्तांत को विस्तृत रूप से 1008 पृष्ठों की एक पुस्तक में समाहित किया जा रहा है। इस पुस्तक के सहलेखक सुशांत ने अमर उजाला को बताया कि सीता की विशाल मूर्ति स्थापित कर देश की मूल सांस्कृतिक विरासत को लोगों तक पहुंचाना उनका लक्ष्य है। पुस्तक की रचना सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं और दुनिया की प्रमुख भाषाओं में की जायेगी। इस पुस्तक का उद्देश्य यही है कि जिस तरह रामचरित मानस के माध्यम कोई व्यक्ति भगवान राम के संपूर्ण चरित्र का अनुभव कर लेता है, उसी प्रकार इस पुस्तक के माध्यम से लोग माता सीता के विषय में संपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकें।