वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज :-भाजपा ने टिकट बंटवारा कैसे किया गया? कहां नए चेहरों को मौका दिया गया? किन पुराने चेहरों का टिकट कटा? टिकट बंटवारे में किसकी चली? टिकट नहीं मिलने पर किसने बगावत की? बगावत का क्या असर हो सकता है? आइये जानते हैं…
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए 189 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। कई दिनों तक टिकट बंटवारे को लेकर चले सस्पेंस के बाद मंगलवार को यह सूची जारी की गई। अब 35 सीटों पर उम्मीदवारों का एलान होना बाकी है।
भाजपा ने टिकट बंटवारा कैसे किया गया? कहां नए चेहरों को मौका दिया गया? किन पुराने चेहरों का टिकट कटा? टिकट बंटवारे में किसकी चली? टिकट नहीं मिलने पर किसने बगावत की? बगावत का क्या असर हो सकता है? आइये जानते हैं…
पहले जानिए भाजपा ने कैसे किया टिकट बंटवारा
भारतीय जनता पार्टी ने कर्नाटक चुनाव के लिए 189 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा मंगलवार की रात कर दी। इसमें 52 नए उम्मीदवारों को पार्टी ने मैदान में उतारा है। कर्नाटक मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई शिगगांव से चुनाव लड़ेंगे। राज्य के मंत्री बी श्रीरामुलु बेल्लारी ग्रामीण सीट से चुनाव लड़ेंगे। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि अपनी परंपरागत चिकमंगलूर सीट से चुनाव लड़ेंगे। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. सुधाकर चिकबल्लापुर सीट से चुनाव लड़ेंगे। कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र तीर्थहल्ली निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार होंगे।
कांग्रेस के दिग्गजों के खिलाफ मंत्रियों को उतारा मैदान में
कर्नाटक सरकार में मंत्री आर. अशोक दो सीटों पद्मनाभनगर और कनकपुरा से चुनाव लड़ेंगे। कनकपुरा में उनका मुकाबला कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार से होगा। भाजपा के लिए वी. सोमन्ना वरुणा सीट से चुनाव और चामराजनगर सीट से चुनाव लड़ेंगे। इस सीट पर वे कांग्रेस नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को चुनौती देंगे।
जातीय समीकरण को साधने की कोशिश
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा के बेटे विजयेंद्र शिकारीपुरा सीट से चुनाव लड़ेंगे। शिकारीपुरा येदियुरप्पा की पारंपरिक सीट है। इस बार उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने का एलान किया था। भाजपा ने 32 ओबीसी, 30 अनुसूचित जाति, 16 अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है।
वकील, डॉक्टर से पूर्व आईएएस अधिकारी तक को टिकट
सूची में पांच उम्मीदवार पेशे से वकील और नौ डॉक्टर हैं। इसके अलावा सेवानिवृत्त एक आईएएस, एक आईपीएस और तीन अधिकारियों को टिकट दिया गया है। भाजपा की 189 उम्मीदवारों की सूची में आठ महिलाओं के नाम भी शामिल है। इसके अलावा सभी उम्मीदवारों में से 31 परास्नातक और तीन अकादमिक उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है।
ज्यादातर पुराने विधायकों को फिर मिला मौका
भाजपा उम्मीदवारों की सूची में 52 नए नाम हैं। पहली सूची में सिर्फ नौ मौजूदा विधायकों के टिकट काटे गए हैं। इसमें भी पार्टी के दिग्गज नेता केएस ईश्वरप्पा ने सक्रिय राजनीति से संन्यास का एलान कर दिया है। ऐसे में इनकी जगह दूसरे चेहरे को मौका दिया गया है। पार्टी के दिग्गज नेता बीएस येदियुरप्पा पहले ही अपने संन्यास की घोषणा कर चुके हैं। ऐसे में उनके बेटे बीवाई विजयेंद्र को उनकी सीट शिकारीपुरा से टिकट दिया गया है। पार्टी ने जिन 52 नए चेहरों को मैदान में उतारा है, उनमें से ज्यादातर कांग्रेस और जेडीएस के गढ़ कहे जाने वाले पुराने मैसूर जैसे इलाके की हैं। भाजपा ने इन इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए ऐसा किया है।
टिकट बंटवारे में बीएस येदियुरप्पा की चली
कर्नाटक के वरिष्ठ पत्रकार डीपी सतीश की एक रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा के टिकट बंटवारे में पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की खूब चली है। पार्टी के ज्यादातर विश्वसनीय चेहरों को मौका दिया गया है। महादेवपुरा आरक्षित सीट से अरविंद लिंबावली का नाम पहली सूची में नहीं है। हाल ही में भाजपा में शामिल होने वाले बेंगलुरु के पूर्व पुलिस कमिश्नर भास्कर राव को चामराजपेट से टिकट मिला है। खास बात है कि जेडीएस के गढ़ में भाजपा ने किसी बड़े चेहरे को मैदान में नहीं उतारा है। पार्टी ने टिकट बंटवारे के दौरान कर्नाटक की तमाम बड़ी जातियों, उप-जातियों को ध्यान में रखा है। जगदीश शेट्टार की बगावत से कहीं हिमाचल जैसा हाल न हो
भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार से चुनाव नहीं लड़ने के लिए कहा है। हालांकि, शेट्टार ये मानने को तैयार नहीं हैं। वह बागी रूख अख्तियार किए हुए हैं। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस उन्होंने कहा कि वह इस बार चुनाव लड़ेंगे। बीएस येदियुरप्पा के बाद शेट्टार लिंगायत समुदाय के दूसरे सबसे बड़े नेता माने जाते हैं। ऐसे में उनकी नाराजगी पार्टी को नुकसान पहुंचा सकती है। वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप भंडारी कहते हैं, 'भाजपा इसके डैमेज कंट्रोल के लिए जुट गई है। बीएस येदियुरप्पा और गृहमंत्री अमित शाह खुद शेट्टार की नाराजगी दूर करने में लगेंगे।'
भंडारी आगे कहते हैं, 'लिंगायत समुदाय को लुभाने के लिए कांग्रेस भी कोशिश कर रही है। सिद्धारमैया ने एलान कर दिया है कि अगर उनकी सरकार बनती है तो लिंगायत समुदाय को धर्म का दर्जा देंगे। अब इसको लेकर भाजपा पर काफी दबाव है। ऐसे में अगर शेट्टार नाराज होते हैं, तो पार्टी को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है। पार्टी को डर है कि कहीं स्थिति हिमाचल प्रदेश जैसी न बन जाए।'