वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज :-आखिर कर्नाटक में अमूल ब्रांड को लेकर विवाद क्या है? क्यों राज्य में अचानक ही दुग्ध उत्पादक ब्रांड नंदिनी चर्चा में आ गया है? इसके अलावा यह मामला आखिर चुनाव से पहले राजनीति के केंद्र में क्यों है और इससे राजनीतिक दलों को क्या फायदा या नुकसान हो रहा है?
कर्नाटक में चुनाव से ठीक पहले दो दुग्ध उत्पादक ब्रांड्स को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। रविवार को ही बेंगलुरु के एक होटल संगठन- बृहत बेंगलुरु होटल्स एसोसिएशन ने एलान किया कि वे शहर में अमूल के उत्पादों का इस्तेमाल नहीं करेंगे और कर्नाटक के स्थानीय किसानों को समर्थन देने के लिए सिर्फ लोकल ब्रांड नंदिनी का ही प्रयोग करेंगे। चौंकाने वाली बात यह है कि होटल एसोसिएशन के इस फैसले से पहले ही कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने अमूल ब्रांड का विरोध किया था और चुनाव से पहले इसे अहम राजनीतिक मुद्दा बना दिया।
हालांकि, इस बारे में जानना जरूरी है कि आखिर कर्नाटक में अमूल ब्रांड को लेकर विवाद क्या है? क्यों राज्य में अचानक ही दुग्ध उत्पादक ब्रांड नंदिनी चर्चा में आ गया है? इसके अलावा यह मामला आखिर चुनाव से पहले राजनीति के केंद्र में क्यों है और इससे राजनीतिक दलों को क्या फायदा या नुकसान हो रहा है?
क्या है अमूल बनाम नंदिनी विवाद?
1. कैसे शुरू हुई विवाद की स्थिति?
देश की सबसे बड़ी दुग्ध उत्पादक कंपनियों में से एक अमूल और कर्नाटक के स्थानीय ब्रांड नंदिनी को लेकर विवाद की स्थिति पांच दिन पहले शुरू हुई थी। दरअसल, पांच अप्रैल को गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क फेडरेशन (GCMMF), जो कि अपने डेयरी उत्पाद अमूल ब्रांड के अंतर्गत बेचता है, ने ट्वीट किया था कि वह कर्नाटक में एंट्री के लिए तैयार है। अमूल ने ट्विटर हैंडल पर लिखा, "दूध और दही के साथ ताजेपन की एक नई लहर जल्द बेंगलुरु आ रही है। इस पर ज्यादा जानकारी जल्द। लॉन्च अलर्ट।"
अमूल के इस ट्वीट के बाद कर्नाटक में राजनीति भी शुरू हो गई। राजनीतिक दलों ने राज्य में होने वाले चुनाव के मद्देनजर एक नए ब्रांड की एंट्री को चुनावी मुद्दा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसके लिए इन पार्टियों ने कर्नाटक की स्थानीय डेयरी उत्पाद निर्माता कंपनी कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) का सहारा लिया, जो कि नंदिनी ब्रांड के अंतर्गत अपने उत्पाद बेचता है। अमूल के ट्वीट के बाद ट्विटर पर नंदिनी को बचाओ (#SaveNandini) और अमूल वापस जाओ (#GobackAmul) जैसे हैशटैग ट्रेंड होने लगे। कुछ रिपोर्ट्स में कहा जाता है कि कर्नाटक मिल्क फेडरेशन देश का दूसरा सबसे बड़ा दूध का सप्लायर है।
मामले में राजनीति कैसे हावी हुई?
कर्नाटक में अमूल की एंट्री चुनाव के मद्देनजर एक अहम मुद्दा बन गया है और इसे उठाया है मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस और जेडीएस ने। कांग्रेस ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि वह राज्य के एक बेहतरीन डेयरी ब्रांड नंदिनी को खत्म करने की साजिश कर रही है। 8 अप्रैल को कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अमूल के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए नंदिनी के मुद्दे को राज्य की पहचान से जोड़ दिया। उन्होंने कहा कि सभी कन्नड़ साथियों को शपथ लेनी चाहिए कि वे अमूल के उत्पाद नहीं खरीदेंगे।
कर्नाटक में विपक्ष का यह भी आरोप है कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार दो कोऑपरेटिव ब्रांड्स- अमूल और नंदिनी को आपस में मिलाना चाहती है। कांग्रेस का कहना है कि दिसंबर 2022 में जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कर्नाटक के मांड्या में केएमएफ की 260 करोड़ रुपये की मेगा डेयरी का उद्घाटन करने आए थे, तो उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि नंदिनी और अमूल को साथ आना चाहिए। शाह के इस बयान को निशाना बनाते हुए विपक्ष का कहना है कि भाजपा कर्नाटक राज्य के एक अहम ब्रांड को खत्म करना चाहती है।
कर्नाटक के पूर्व सीएम ने संभाली हमलों की कमान
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने तो यहां तक कहा था कि राज्य को प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री शाह की डबल इंजन सरकार से सतर्क हो जाना चाहिए। ये लोग कन्नड़ लोगों की संपत्ति बेच देंगे। हमारे बैंकों को बर्बाद करने के बाद ये अब नंदिनी केएमएफ, जिसे हमारे किसानों ने बनाया है, को बर्बाद करना चाहते हैं। उन्होंने आगे कहा, "हिंदी थोपकर भाषा राजद्रोह और राज्य की सीमाओं में ही जमीन राजद्रोह के बाद अब भाजपा सरकार कर्नाटक मिल्क फेडरेशन को बंद कर के किसानों को धोखा देना चाहती है, जो कि देश में डेयरी से जुड़े करोड़ों परिवारों की अजीविका है।"
मामले पर कर्नाटक कांग्रेस प्रमुख डीके शिवकुमार का भी बयान आया था। उन्होंने नंदिनी को अमूल से बेहतर ब्रांड बताते हुए कहा था कि हम अपने दूध और किसानों की रक्षा करना चाहते हैं। हमारे पास पहले से ही नंदिनी ब्रांड है, जो कि अमूल से काफी अच्छा है। हमें कोई अमूल नहीं चाहिए...हमारा पानी, हमारा दूध और हमारी मिट्टी काफी मजबूत हैं।
जेडीएस ने भी इसे भाजपा के खिलाफ मुद्दा बनाया
कांग्रेस के साथ कर्नाटक में अहम विपक्षी दल जेडीएस ने भी नंदिनी बनाम अमूल विवाद पर भाजपा को घेरा। पूर्व सीएम एचडी कुमारस्वामी ने भी कहा कि भाजपा कन्नड़ों की लाइफलाइन को ही खत्म करना चाहती है। उन्होंने केंद्र पर तीन तरह से कर्नाटक के ब्रांड को खत्म करने का आरोप लगाया। कुमारस्वामी ने कहा कि एक देश, एक अमूल, एक दूध और एक गुजरात अब केंद्र सरकार की आधिकारिक नीति हो गया है।
आरोपों पर क्या है भाजपा का जवाब?
इस मामले पर कांग्रेस और जेडीएस की तरफ से घेरे जाने के बाद भाजपा के नेताओं ने पलटवार भी किया है। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने विपक्ष पर अमूल की एंट्री के राजनीतिकरण के आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि हम अमूल को लेकर बिल्कुल स्पष्ट रहे हैं। नंदिनी बी एक राष्ट्रीय ब्रांड है। यह सिर्फ कर्नाटक तक ही सीमित नहीं है। हमने नंदिनी को अन्य राज्यों में भी लोकप्रिय बनाया है। उन्होंने कहा कि राज्य में न सिर्फ दूध का उत्पादन बढ़ा है, बल्कि दुग्ध उत्पादकों की आर्थिक सहायता भी बढ़ाई गई है।
वहीं, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री के सुधाकर ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा, "नंदिनी के उत्पाद दूसरे राज्यों और देश में भी बेचे जाते हैं। हमारा नंदिनी ब्रांड किसी भी प्रतियोगी ब्रांड का सामना करने के काबिल है। कांग्रेस को हर चीज में राजनीति करनी है और वह किसानों के लिए घड़ियाली आंसू बहा रही है।" सुधाकर ने कहा कि नंदिनी के उत्पाद राज्य का गौरव हैं, उन्होंने कांग्रेस-जेडीएस की पिछली सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सिर्फ भाजपा ने ही स्थानीय किसानों और ब्रांड का समर्थन किया है। पूर्व सीएम येदियुरप्पा ने पहली बार किसानों को दूध पर दो रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी दी थी। अब इसे बढ़ाकर पांच रुपये तक कर दिया गया है। अगर किसी सरकार ने किसानों और नंदिनी ब्रांड का सबसे ज्यादा समर्थन किया है, तो वह है भाजपा सरकार।