वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:-राज्यसभा में पेश हुई गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति की 242वीं रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि गोवा, छत्तीसगढ़, ओडिशा, नगालैंड, मिजोरम, आंध्र प्रदेश, असम, पंजाब, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, त्रिपुरा और जम्मू-कश्मीर ने अभी तक अपना तय भुगतान नहीं किया है...
जब कभी किसी राज्य में दंगा, चुनाव या अन्य कोई ऐसी गतिविधि होती है, जिसमें कानून व्यवस्था के बिगड़ने का अंदेशा बना रहता है, तो वहां पर केंद्रीय अर्धसैनिक बलों 'सीएपीएफ' की तैनाती की मांग की जाती है। केंद्रीय गृह मंत्रालय भी बिना कोई देरी किए 'सीएपीएफ' को संबंधित राज्य के लिए रवाना कर देता है। हालांकि इस तरह के अधिकांश टॉस्क 'सीआरपीएफ' द्वारा पूरे किए जाते हैं। अब राज्यों की ओर केंद्रीय सुरक्षा बलों के 49 हजार करोड़ रुपये फंस गए हैं। मतलब, इतनी राशि बकाया है। इसमें अकेले सीआरपीएफ के ही 44083.51 करोड़ रुपये हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दर्जनभर राज्यों से कई बार आग्रह किया है कि इस राशि का भुगतान किया जाए, लेकिन राज्यों ने इतनी बड़ी राशि लौटाने की बजाए, उसे माफ करने की बात कह दी। केंद्र सरकार अब इस बकाया राशि का भुगतान कराने के लिए सख्त कदम उठा सकती है।
इन 12 राज्यों की तरफ बकाया हैं 49912.37 करोड़ रुपये
राज्यसभा में पेश हुई गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति की 242वीं रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। उत्तर प्रदेश से भाजपा के राज्यसभा सांसद बृजलाल, गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि विभिन्न राज्यों की तरफ केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के 49912.37 करोड़ रुपये बकाया हैं। जिन राज्यों ने अभी तक अपना तय भुगतान नहीं किया है, उनमें गोवा, छत्तीसगढ़, ओडिशा, नगालैंड, मिजोरम, आंध्र प्रदेश, असम, पंजाब, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, त्रिपुरा और जम्मू-कश्मीर शामिल हैं। संसदीय समिति ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से पूछा था कि इस बकाया राशि के भुगतान के लिए क्या प्रयास किए गए हैं। मंत्रालय का जवाब था कि इस संबंध में नियमित आग्रह किया जा रहा है। प्रत्येक तीन माह में इस तरह का आग्रह किया जाता है
मासिक स्तर पर उठाया जाए यह मुद्दा
गृह मंत्रालय ने संसदीय समिति को सूचित किया कि इन राज्यों ने उक्त राशि को माफ करने के लिए प्रार्थना दी है। समिति ने मंत्रालय से कहा है कि इसे लेकर कठोरता से बात की जाए। उक्त राशि के भुगतान के लिए राज्यों के साथ प्रमुखता से इस विषय को उठाया जाए। इतना ही नहीं, समिति ने मासिक स्तर पर इस मुद्दे को उठाने की बात कही है। भारत सरकार को भी इस विषय में गंभीरता से प्रयास करने चाहिए, ताकि समयबद्ध तरीके से 49912.37 करोड़ रुपये का भुगतान संभव हो सके। आंतरिक ड्यूटी में सीआरपीएफ की बेहतरीन भूमिका, इस बाबत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कई बार इस बल की सराहना कर चुके हैं।
दंगे/चुनाव में होती है सीआरपीएफ की मांग
2021 में पुलवामा के लेथपोरा में सीआरपीएफ कैंप में पहुंचे गृह मंत्री शाह ने कहा था कि देश में कहीं भी चुनाव या दंगे होते हैं तो संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री मांग करते हैं कि उन्हें सीआरपीएफ के जवान उपलब्ध कराए जाएं। पिछले सप्ताह छत्तीसगढ़ में सीआरपीएफ के 84वें स्थापना दिवस पर आयोजित परेड में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए अमित शाह ने कहा, मैं किसी कार्यक्रम में व्यस्त रहता हूं और तभी किसी अप्रिय घटना का समाचार आता है, मगर साथ में जब यह बात भी पता चलती है कि सीआरपीएफ वहां पहुंच गई है तो मैं निश्चिंत होकर आगे का कार्यक्रम चालू रखता हूं। मुझे भरोसा है कि गलत मंसूबे वाले लोगों को नसीहत करे बगैर सीआरपीएफ जवान वापस नहीं लौटता।