Friday August 22, 2025
BREAKING NEWS
  • वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:- जम्मू कश्मीर रिजर्वेशन एक्ट हो सकता है लोकसभा में पेश शीत कालीन सत्र के दूसरे दिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जम्मू कश्मीर रिजर्वेशन एक्ट 2004 और जम्मू कश्मीर रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट 2019 को आज लोकसभा में पेश कर सकते हैं। रिजर्वेशन एक्ट से राज्य सरकार की नौकरियों, कॉलेज एडमिशन में आरक्षण व्यवस्था लागू हो सकेगी। वहीं जम्मू कश्मीर रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट 2019 की मदद से जम्मू कश्मीर और लद्दाख का पुनर्गठन किया जाएगा। इसकी मदद से जम्मू कश्मीर में विधानसभा सीटें 83 से बढ़कर 90 हो जाएंगी। साथ ही सात सीटें अनुसूचित जाति और 9 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए भी आरक्षित की जाएंगी।
  • Parliament Winter Session Live: संसद की कार्यवाही शुरू हुई, आज पेश हो सकती है आचार समिति की रिपोर्ट Parliament Winter Session 2023 Live News in Hindi: संसद के शीतकालीन सत्र का आज दूसरा दिन है। पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के मामले में घिरी टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ संसद की आचार समिति की रिपोर्ट आज संसद में पेश की जा सकती है। विपक्षी सांसदों की मांग है कि इस रिपोर्ट पर कोई भी फैसला लेने से पहले इस पर संसद में चर्चा होनी चाहिए। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि आचार समिति की रिपोर्ट में महुआ मोइत्रा को संसद सदस्यता से निष्कासित करने की सिफारिश की गई है।
  • इंदौर हादसा: मंदिर में फंसे 15 लोगों को अब तक किया जा चुका रेस्क्यू
  • इंदौर हादसा: CM शिवराज बोले- 10 लोगों को बचाया जा चुका, 9 अब भी फंसे हुए
  • यूपी: उमेश पाल हत्याकांड के बाद बीजेपी विधायक सिद्धार्थ नाथ सिंह की सुरक्षा बढ़ाई गई
  • इंदौर: बेलेश्वर महादेव मंदिर में बावड़ी के ऊपर की छत गिरी, कई फुट गहराई में फंसे लोग
  • इंदौर में रामनवमी पर बड़ा हादसा, मंदिर की छत धंसी, कुएं में गिरे लोग, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
  • पश्चिम गोदावरी: रामनवमी के लिए बनाए गए पंडाल में शार्ट सर्किट से लगी आग
  • दिल्ली: शोभा यात्रा को लेकर पुलिस अलर्ट, जगह-जगह लगाया बैरिकेड
  • लंदन, सैन फ्रांसिस्को, कनाडा में भारतीय दूतावासों के बाहर हिंसक प्रदर्शन करने वालों पर होगा एक्शन
  • नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस से 24 घंटे में 3016 लोग पॉजिटिव, संक्रमण दर 2.73% पहुंची
  • संभाजीनगर में डुप्लीकेट शिवसेना की वजह से तनाव की स्थिति: संजय राउत
  • पंजाब: अमृतपाल की धरपकड़ के लिए जालंधर और कपूरथला में हाई अलर्ट
  • दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ फिर लगे पोस्टर्स, अब शिक्षा को लेकर घेरा गया
  • J-K: कठुआ में सर्च ऑपरेशन के दौरान सुरक्षाबलों को खेतों में मिला जिंदा ग्रेनेड

देश News

img

छत्तीसगढ़ में दिखेंगे एमपी और महाराष्ट्र के बाघ, रायपुर से 110 किमी दूर तैयार हो रहा नया बसेरा

वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:-दिसंबर 2022 को प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक ली थी। इसमें प्रदेश में बाघों की संख्या चार गुना करने के लिए 'ग्लोबल टाइगर फोरम' के प्रस्ताव पर चर्चा हुई थी। बैठक में फैसला लिया गया था कि प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए मध्य प्रदेश या महाराष्ट्र से बाघ लाए जाएंगे

जिस तरह मध्य प्रदेश में दक्षिण अफ्रीका के जंगलों से चीतों को लेकर बसाया गया है, ठीक उसी तर्ज पर बाघों को छत्तीसगढ़ के बारनवापारा अभ्यारण्य में बसाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। राजधानी रायपुर से महज 110 किलोमीटर दूर बारनवापारा में बाघों का घर बनाने तैयारी की जा रही है। जल्द ही प्रदेश सरकार केंद्रीय वन मंत्रालय को पत्र लिखकर महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के जंगलों से बाघों को प्रदेश के बारनवापारा में बसाने की स्वीकृति मांगेगी।  

दरअसल, दिसंबर 2022 को प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक ली थी। इसमें प्रदेश में बाघों की संख्या चार गुना करने के लिए 'ग्लोबल टाइगर फोरम' के प्रस्ताव पर चर्चा हुई थी। बैठक में फैसला लिया गया था कि प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए मध्य प्रदेश या महाराष्ट्र से बाघ लाए जाएंगे। इन बाघों को अचानकमार बाघ अभयारण्य या बारनवापारा अभ्यारण्य छोड़े जाने की बात सामने आई थी।

सरकार के इस फैसले के बाद वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की टीम दोनों वन अभ्यारण्य में जल्द सर्वे शुरू करने जा रही है। ये टीम अपने सर्वे के दौरान सबसे पहले ये देखेगी कि इन जंगलों में बाघों के लिए पर्याप्त खुराक है या नहीं। उन्हें अपने भोजन के लिए जंगल से बाहर तो नहीं जाना पड़ेगा। सर्वे में ये भी चेक किया जाएगा कि बारनवापारा अभयारण्य के पूरे जंगली इलाके की डेंसिटी क्या है। यानी यहां के जंगल बाघों के रहने के लायक है या नहीं। बाघों के रहने के दौरान जंगल के आस-पास बसे गांव में रहने वालों को किसी तरह का खतरा तो नहीं रहेगा। इसी आधार पर वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की टीम अपनी हैबिटेट स्टेबिलिटी एनालिसिस रिपोर्ट तैयार करेगी। टीम के विशेषज्ञ अपनी रिपोर्ट प्रदेश के वन विभाग को सौंपेंगे। प्रदेश सरकार इस रिपोर्ट के साथ अपने प्रस्ताव को केंद्र सरकार से मंजूरी के लिए भेजेगी। इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार केंद्रीय वन मंत्रालय से महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के जंगलों से बाघों को लाने की अनुमति मांगेगी।

प्रदेश सरकार के वन विभागों के अफसरों का कहना है कि बारनवापारा अभयारण्य में एक हजार से ज्यादा हिरण हैं। चीतल, सांभर, नीलगाय और गौर जैसे वन्य प्राणी भी सैकड़ों की संख्या में मौजूद हैं। ऐसी स्थिति में यहां बाघों को खुराक के लिए किसी प्रकार कोई दिक्कत नहीं होगी। ऐसी स्थिति में वन मंत्रालय से यहां बाघों को बसाने की मंजूरी मिलने में दिक्कत नहीं होगी। बारनवापारा के कोर एरिया में 21 गांव थे। इसमें से 3 गांवों को जंगल की सरहद के बाहर बसा दिया गया है। उन गांवों की शिफ्टिंग की जा चुकी है। अभी 18 गांव को शिफ्ट करने का प्लान है। इसके लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जा चुका है। वहां से मंजूरी के बाद उन गांवों की शिफ्टिंग भी की जाएगी। गांवों की शिफ्टिंग के बाद लोगों का जंगल के इलाके में मूवमेंट कम होगा।

बाघों के लिए राज्य सरकार ने बनाया ये प्लान

प्रदेश सरकार ने मध्य प्रदेश या महाराष्ट्र से चार बाघों के जोड़े को यहां लाने का प्लान तैयार किया है। बाघों का जोड़ा पूरी तरह से जंगली होगा। बाघों को ट्रैंक्युलाइज यानी बेहोश करके पकड़ा जाएगा। उन्हें यहां लाते ही सीधे जंगल में नहीं छोड़ा जाएगा। सबसे पहले घने जंगल के बीच 25 से 30 एकड़ में बाड़ बनाकर उसमें रखा जाएगा। इसके बाद उन्हें खुराक के तौर पर कुछ वन्य प्राणी बारी-बारी छोड़े जाएंगे, ताकि यहां के वातावरण में रहते हुए वे शिकार की अपनी आदत बनाए रखें। एक निर्धारित समय बाद उनके बाड़े के साइज बढ़ाया जाएगा। धीरे-धीरे साइज बढ़ाते हुए उन्हें एक दिन पूरी तरह से आजाद कर दिया जाएगा।

प्रदेश के बारनवापारा अभयारण्य में 2011 में अंतिम बार गणना के दौरान बाघ के प्रमाण मिले थे। इसके बाद न तो ग्रामीणों ने और न ही वन विभाग के किसी भी दल ने यहां बाघ को देखा है। कैमरे ट्रैप में भी कभी यहां बाघ की तस्वीर नहीं मिली है। वन विभाग के विशेषज्ञों के अनुसार 1970 के दशक में यहां 25-30 बाघ हुआ करते थे। उसके बाद धीरे-धीरे इनकी संख्या कम हुई। इसकी सबसे बड़ी वजह गांवों में आबादी और लोगों का मूवमेंट बढ़ना थी।