वॉयस ऑफ़ ए टू जेड न्यूज़:-पटना. तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव सीएम नीतीश कुमार की पटना में मुलाकात के बाद लगातार विपक्षी एकता की चर्चा होती रही. इसके तुरंत बाद नीतीश कुमार के दिल्ली से लेकर हरियाणा तक जाकर बीजेपी विरोधी नेताओं से मुलाकात ने देश में सियासी हलचल भी तेज कर ही दी थी. परन्तु, अचानक से वो मुहिम ठंडा पड़ता दिख रहा था. अब एक बार फिर शिवसेना (उद्धव) के नेता आदित्य ठाकरे के पटना आने और पहले तेजस्वी यादव उसके बाद नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद एक बार फिर विपक्षी एकता की मुहिम में तेजी आने की संभावना जताई जा रही है.
दरअसल, आदित्य ठाकरे जब पटना पहुंचे थे तो उनकी मुलाकात तेजस्वी यादव से होनी थी. लेकिन, अचानक से राजनीतिक घटनाक्रम बदला और तेजस्वी यादव, आदित्य ठाकरे को लेकर नीतीश कुमार से मुलाकात करवाने एक अणे मार्ग पहुंच गए. यहां लगभग 45 मिनट तक ये मुलाकात भी चली. सूत्र बताते हैं कि इस दौरान बीजेपी के खिलाफ बड़े मोर्चे बनाने को लेकर भी चर्चा हुई जिसमें शिवसेना ने भी जुड़ने की इच्छा जताई है. इसी दौरान आदित्य ठाकरे ने नीतीश कुमार को महाराष्ट्र आने का न्योता भी दिया है. माना जा रहा है कि नीतीश कुमार जल्दी ही महाराष्ट्र के दौरे पर जा सकते हैं. दरअसल, वीर सावरकर पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की टिप्पणी के बाद महाराष्ट्र में शिवसेना और कांग्रेस के संबंध सहज नहीं बताए जा रहे हैं. इसी दौरान आदित्य ठाकरे का पटना आकर तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद ये कयास भी तेज हो रहा है कि कांग्रेस से खराब हुए संबंध को बिहार के नेता बेहतर करने में मदद करें. वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं कि इसके पहले लालू यादव ने भी कहा था कि कांग्रेस के बगैर बीजेपी के खिलाफ कोई गठबंधन सफल नहीं हो सकता है. कांग्रेस की छतरी के नीचे सबको आना होगा. वहीं, नीतीश कुमार भी इस मुहिम में लगे हुए हैं कि बीजेपी विरोधी तमाम दल एक साथ आएं. वो लगातार इस मुहिम में भी लगे हुए हैं.रवि उपाध्याय कहते हैं कि वीर सावरकर वाले प्रकरण के बाद अगर शिवसेना जैसी पार्टी किसी कारण कांग्रेस से दूरी बना कर चलती है तो महाराष्ट्र में बीजेपी विरोधी पार्टियों पर असर पड़ सकता है. शायद नीतीश कुमार की पहल दोनों पार्टियों को फिर से एक साथ लाने में बड़ी मदद कर सकती है.हालांकि, आदि्य ठाकरे के पटना दौरे को लेकर यह भी कहा जा रहा है कि शिवसेना अब मराठी मानुष के एजेंडे पर नहीं चलना चाहती और महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों को अपने पाले में कवायद के क्रम में वे पटना आए थे. एक समय शिवसेना से बिहार की राजनीतिक पार्टियां भी दूरी बनाकर चलती थी. मगर अब भाजपा के विरोध में अब ये पार्टियां नजदीक आ रही हैं और माना जा रहा है कि नये साल में नीतीश कुमार एक बार फिर देश की राजनीति में सक्रिय दिख सकते हैं और वे बीजेपी विरोधी पार्टियों को एकजुट करने की कवायद में लग जाएंगे.