वॉयस ऑफ़ ए टू जेड न्यूज़:-नई दिल्ली: मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को फिर सुनवाई हुई. इस दौरान केंद्र सरकार ने संविधान पीठ को अरुण गोयल की निर्वाचन आयुक्त पद पर नियुक्ति की प्रक्रिया से संबंधित फाइल सौंपी. जस्टिस केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय पीठ ने फाइल पढ़ने के बाद उनकी नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए. इस बेंच में जस्टिस अजय रस्तोगी, अनिरुद्ध बोस, ऋषिकेस राय और सीटी रविकुमार शामिल हैं. जस्टिस अजय रस्तोगी ने केंद्र से इतनी तेज रफ्तार से गोयल की फाइल आगे बढ़ाने की वजह पूछी. उन्होंने पूछा कि 24 घंटे के भीतर कैसे जांच पड़ताल कर दी गई? आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 3 दिन पहले ही भारत के नए चुनाव आयुक्त के तौर पर अरुण गोयल की नियुक्त हुई है. पंजाब कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी गोयल ने 18 नवंबर को उद्योग सचिव के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘चुनाव आयोग ने पद की रिक्ति की घोषाणा 15 मई को की और अरुण गोयल की चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्ति वाली फाइल को ‘बिजली की गति’ से मंजूरी दी गई. यह कैसा मूल्यांकन है. हम ईसी अरुण गोयल की साख पर सवाल नहीं उठा रहे हैं, बल्कि उनकी नियुक्ति की प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं.’ इस पर अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि वह सभी बातों का जवाब देंगे, लेकिन अदालत उनको बोलने का मौका तो दे. अटॉर्नी जनरल ने शीर्ष अदालत की संविधान पीठ से कहा कि विधि और न्याय मंत्रालय ही संभावित उम्मीदवारों की सूची बनाता है, फिर उनमें से सबसे उपयुक्त का चुनाव होता है. इसमें प्रधानमंत्री की भी भूमिका होती है. इससे पहले जस्टिस केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने कल हुई सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश अटाॅर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से कहा था, ‘हम देखना चाहते हैं कि नियुक्ति कैसे हुई? किस प्रक्रिया का पालन किया गया. कुछ ऐसा-वैसा तो नहीं हुआ है, क्योंकि गोयल ने हाल ही में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी. नियुक्ति कानूनन सही है, तो घबराने की जरूरत नहीं है. यह विरोधात्मक कदम नहीं है, हम इसे सिर्फ रिकॉर्ड के लिए रखेंगे. पर, हम जानना चाहते हैं कि आपका दावा सही है या नहीं. चूंकि हम 17 नवंबर से सुनवाई कर रहे हैं, नियुक्ति बीच में 19 नवंबर को की गई, यह आपस में जुड़ा हो सकता है. इस दौरान नियुक्ति न की जाती, तो उचित होता. हम जानना चाहता हैं कि इस नियुक्ति के लिए किसने प्रेरित किया था.’