वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:-उत्तर प्रदेश सरकार ने आजम खां के रामपुर स्थित कार्यालय दारूल अवाम और रामपुर पब्लिक स्कूल के जमीन की लीज निरस्त कर दी है। यह जमीन माध्यमिक शिक्षा विभाग को फिर से वापस मिल गई है। जब आजम ने इस जमीन को अपने ट्रस्ट के नाम करवाया था तो वहां पर संचालित सरकारी स्कूल में लगभग चार हजार बच्चे पढ़ते थे।
समाजवादी पार्टी के नेता आजम खां की मुश्किलें कम नहीं हो पा रही हैं। आजम परिवार के जेल जाने के बाद उन्हें एक और बड़ा झटका लगा है। सरकार ने उनकी तोपखाना रोड स्थित कार्यालय दारूल अवाम और रामपुर पब्लिक स्कूल के जमीन की लीज निरस्त कर दी है। अब यह जमीन माध्यमिक शिक्षा विभाग को वापस फिर से वापस मिल गई है।
ताजा मामला आजम खां के तोपखाना स्थित कार्यालय दारूल अवाम और रामपुर पब्लिक स्कूल से जुड़ा है। सपा नेता आजम खां ने जिस राजकीय मुर्तजा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय को खाली कराकर अपना (समाजवादी पार्टी) का कार्यालय बनाया उस समय स्कूल में करीब चार बच्चे पढ़ते थे।
यह बात वर्ष 1990 के दशक की है। आरोप था कि आजम ने 1995 में विद्यालय के भवन को खाली करवाकर इसे जौहर ट्रस्ट के नाम करा लिया।
महज 100 रुपये की सालाना लीज
सपा नेता आजम खां ने अपने राजनीतिक रसूख के चलते सौ साल के लिए करोड़ों रुपये की जमीन लीज अपने ट्रस्ट के नाम करा ली। बात वर्ष 2012 की है। तब सूबे में सपा की सरकार थी और आजम खां उस सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। तब आजम खां के पास नगर विकास, अल्पसंख्यक कल्याण जैसे सात शक्तिशाली विभाग थे। उनकी ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी उनकी बात नहीं टाल सकते थे और तब सरकार ने मजबूरी में यह जमीन जौहर ट्रस्ट को दे दी।
चार सदस्यीय कमेटी ने की थी जांच
जौहर ट्रस्ट को आवंटित की गई जमीन के दुरूपयोग के मामले में भाजपा विधायक आकाश सक्सेना ने मुख्यमंत्री से शिकायत की थी। जिसके बाद सरकार के आदेश पर अपर जिलाधिकारी प्रशासन लालता प्रसाद शाक्य के नेतृत्व में गठित चार सदस्यीय टीम ने जांच की थी। इस टीम में उपजिलाधिकारी सदर जगमोहन गुप्ता, जिला विद्यालय निरीक्षक मुन्ने अली, जिला बेसिक शिक्षाधिकारी संजीव कुमार भी शामिल थे।