वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज :- जधवापुर निवासी सीताराम ने 27 फरवरी को केस दर्ज कराया था। आरोप है कि वह घर पर सो रहे थे और इसी दौरान आए लोगों ने मुंह में तमंचा डालकर फायरिंग की, लेकिन गोली मिस हो गई। इस मामले में पुलिस ने केस दर्ज किया, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई।
गोरखपुर जिले में पिपराइच के हरखापुर, सटे गांव जधवापुर व महोवा में लंबे समय से जातीय संघर्ष चल रहा है, लेकिन चार महीने पहले नाबालिग मोहब्बत ने इसे और गहरा कर दिया। गांव के राजभर परिवार का एक लड़का दूसरे जाति की लड़की को लेकर फरार हो गया था। पुलिस ने प्रयागराज से किशोरी को बरामद कर आरोपी को जेल भिजवा दिया, लेकिन लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष को एक बार फिर नई हवा मिल गई।
इसके बाद 27 फरवरी को सीताराम राजभर की हत्या की कोशिश की गई। इस मामले में पुलिस ने सात से आठ लोगों पर केस दर्ज किया, मगर एक भी आरोपी पकड़े नहीं गए। गांव वालों का आरोप है कि पुलिस ने कार्रवाई की होती तो शायद सोमवार को गैंगवार के हालात नहीं होते और एक जान नहीं जाती।
जानकारी के मुताबिक, जधवापुर निवासी सीताराम ने 27 फरवरी को केस दर्ज कराया था। आरोप है कि वह घर पर सो रहे थे और इसी दौरान आए लोगों ने मुंह में तमंचा डालकर फायरिंग की, लेकिन गोली मिस हो गई। इस मामले में पुलिस ने केस दर्ज किया, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई। इसके पहले दूसरे पक्ष ने नाबालिग लड़की के अपहरण का केस दर्ज कराया। इसके पहले भी गांव में बिना बात के आपसी खींचतान में कई बार मारपीट की घटनाएं हो चुकी है।
ग्रामीणों का कहना है कि हल्का दरोगा और सिपाही को सब कुछ मालूम था, उन्हें कई बार जानकारी दी गई कि कार्रवाई करें, नहीं तो बड़ी घटना हो सकती है, मगर उन्होंने कभी भी ध्यान नहीं दिया।
गोली मिस होने से बचे थे मोनू के बाबा सीताराम
गांव वालों के मुताबिक, मोनू के बाबा सीताराम के मुंह में तमंचा डालकर 27 फरवरी को जान से मारने की कोशिश की गई थी, लेकिन गोली मिस हो गई थी और सीताराम बच गए थे। पुलिस ने तब केस दर्ज किया था।
कीर्तन जारी, लेकिन ग्रामीणों की भीड़ नहीं
हनुमान मंदिर पर कीर्तन में शामिल होने के लिए ही तीनों युवक जा रहे थे लेकिन, वारदात हो गई। इसके बाद कीर्तन तो जारी है, लेकिन ग्रामीण वहां से हट गए। कोई अस्पताल तो कोई पीड़ित परिवार के घर पहुंच गया।
पुलिस ने जब भी मारपीट को हल्के में लिया, हुई बड़ी घटना
पिपराइच के हरखापुर में हत्या पुरानी रंजिश में पहली बार नहीं हुई। इसके पहले बेलीपार के कनईल गांव के पूर्व प्रधान व हिस्ट्रीशीटर शशि मौली शुक्ला को भी बदमाशों ने इसी अंदाज में गोली मारी थी। पुलिस ने जब भी मारपीट की घटनाओं को हल्के में लिया है तो इसी तरह की वारदात उभर कर सामने आई है।