वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज: सेल्हुपुर में हुए सामूहिक हत्याकांड में गवाहों ने कोर्ट को पूरी घटना बताई थी। उन्होंने कहा कि रमेशचंद्र ने भाई की हत्या का बदला लेने के लिए साथियों के साथ वारदात की थी। हत्यारे कह रहे थे कि महिलाओं को मारो नहीं, पुरुषों को छोड़ो नहीं।
कानपुर देहात सामूहिक हत्याकांड: हत्यारे बोले थे- महिलाओं को मारो नहीं...पुरुषों को छोड़ो नहीं, पढ़ें पूरा मामला
सेल्हुपुर में हुए सामूहिक हत्याकांड में गवाहों ने कोर्ट को पूरी घटना बताई थी। उन्होंने कहा कि रमेशचंद्र ने भाई की हत्या का बदला लेने के लिए साथियों के साथ वारदात की थी। हत्यारे कह रहे थे कि महिलाओं को मारो नहीं, पुरुषों को छोड़ो नहीं।
कानपुर देहात में देवराहट क्षेत्र के गांव सेल्हुपुर में वर्ष 1979 में हुए सामूहिक हत्याकांड के मामले में अदालत ने गुरुवार को पांच दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। कोर्ट में सुनवाई के दौरान गवाहों ने बताया कि घटना के दौरान मौके पर किसी महिला को हमलावरों ने नुकसान नहीं पहुंचाया था।
भाई की हत्या का बदला लेने के लिए घर में घुसे रमेशचंद्र ने घटना के समय साथियों से कहा था कि किसी महिला को नहीं मारा जाएगा। आदमी कोई बचने न पाए, सभी को ऐसे मारो कि मिसाल हो जाए। सेल्हूपुर गांव में नवंबर 1978 में किसान दिनेशचंद्र की हत्या हुई थी।
इसमें आरोपी अयोध्या प्रसाद कुछ दिन बाद जमानत पर रिहा हुआ था। वहीं, बदला लेने के इरादे से दिनेश के भाई रमेशचंद ने अपने साथियों के साथ 23 अप्रैल 1979 की रात अयोध्या प्रसाद के घर में घुसकर भाई सरजू, भतीजे शिव प्रसाद व छोटे तथा चार साल के पौत्र भीम सिंह की हत्या कर दी थी।
21 लोगों के खिलाफ दर्ज हुई थी रिपोर्ट
मामले में वादी पक्ष के अयोध्या प्रसाद ने कुल 21 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। इसमें रमेशचंद्र, सुरेशचंद्र, शाशिचंद्र, प्रेमचंद्र, रामरतन, विजय बहादुर, विजय नारायण, बतोले, मुक्ताप्रसाद, वीरेंद्र, उजागर, सतीश, मुक्ता प्रसाद, बालकराम, हीरालाल आदि के खिलाफ पुलिस ने विवेचना कर आरोप पत्र अदालत में दाखिल किए थे।
फरार आरोपी का पता नहीं लगा सकी पुलिस
हत्याकांड में शामिल आरोपी मानसिंह मामले में लगातार फरार चल रहा है। अदालत की ओर से उसकी गिरफ्तारी करने के लिए पुलिस को कई बार आदेश जारी किया गया, लेकिन आज तक उसका पता नहीं लग सका है। इस पर अदालत ने उसकी पत्रावली अलग कर मामले की सुनवाई आगे बढ़ा दी थी।
शिनाख्त कार्रवाई में हुई थी आरोपियों की पहचान
मामले के वादी अयोध्या प्रसाद ने पुलिस में तीन बाहरी लोगों समेत 18 नामजद आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने विवेचना करते हुए धनीराम, शिवराम व राजकुमार की गिरफ्तारी की थी। इनकी शिनाख्त कार्यवाही में मारे गए सरजू की बेटी तारावती व अन्य गवाह कुंवर लाल व बिहारी ने आरोपियों की पहचान की थी।
दोषियों ने कहा कि वह निर्दोष हैंं
अदालत के सजा सुनाए जाने के बाद जेल जाते हुए दोषी बतोले व प्रेमचंद्र ने बताया कि वह निर्दोष हैंं। वह घटना में शामिल नहीं थे। उन्हें पार्टी बंदी में घटना में शामिल किया गया था। जब घटना हुई वह अपने घर पर सो रहे थे। सुबह घटना की जानकारी हुई थी।
सजा के खिलाफ करेंगे अपील
मामले में सजा पर सुनवाई होने के दौरान सभी दोषियों के परिजन सुबह से ही अदालत के बाहर फैसले का इंतजार कर रहे थे। जैसे ही अदालत ने मामले में अपना फैसला देते सभी दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई, तो परिजनों के चेहरे उदास हो गए। दोषियों के परिजनों ने कहा कि वह अदालत के आदेश से संतुष्ट नहीं हैं। वह फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दाखिल करेंगे।
सभी दोषी हैं बुजुर्ग
हत्याकांड में फैसला आने में 44 साल लग गए। इस दौरान सभी दोषी उम्रदराज हो चुके हैं। सजा पाए दोषियों से उनकी उम्र पूछी गई तो बतोले ने बताया कि उसकी उम्र लगभग 80 वर्ष है। प्रेमचंद्र की उम्र 74 वर्ष, विजयनरायाण की उम्र 74 वर्ष, विजयबहादुर की उम्र 76 वर्ष व धनीराम की उम्र 77 वर्ष है।