वॉयस ऑफ़ ए टू जेड न्यूज़:-कानपुर हिंसा में पुलिस ने 6 निर्दोर्षों को आरोपी बनाकर जेल भेज दिया। अब इन आरोपियों को जेल से बाहर निकालने के लिए कानूनी सलाह ले रही है। वीडियो फुटेज से इनकी बेगुनाही का पता चला है।
कानपुर हिंसा मामले में पुलिस ने जल्दबाजी में छह निर्दोषों को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। पीड़ितों के परिजनों की पैरवी और मजबूत सबूत के आगे पुलिस को आखिरकार झुकना पड़ा। अब जाकर पुलिस ने अपनी भूल स्वीकार की और
इन बेगुनाहों को जेल से बाहर लाने की प्रक्रिया शुरू की। इन्हें बाहर लाने के लिए कोर्ट में 169 की रिपोर्ट लगाई जाएगी। रिपोर्ट कैसे लगाई जाए इस पर शुक्रवार को अफसरों ने सरकारी वकीलों से विधिक राय ली। तीन जून को नई सड़क इलाके में हुई हिंसा में अब तक 62 आरोपितों को जेल भेजा जा चुका है। पुलिस ने जब गिरफ्तारियां शुरू कीं तो पीड़ितों के परिजनों ने बगैर कुसूर के पकड़े जाने का आरोप लगाया, इसके बाद भी पुलिस ने किसी की नहीं सुनी और जेल भेज दिया।
जब यह मामला तूल पकड़ने लगा तब पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीणा के निर्देश पर ज्वाइंट सीपी आनंद प्रकाश तिवारी की अध्यक्षता में स्क्रीनिंग कमेटी का गठन किया। छह जून को कमेटी गठित होने के बाद से 28 जुलाई के बीच पांच बैठकें की गईं। इसमें जेल भेजे गए सभी आरोपितों की भूमिका को ठीक से समझा गया। स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में जो सबूत और तथ्य पुलिस के सामने आए उसमें छह लोगों को चिह्नित किया गया जिन्हें गलत जेल भेज दिया गया।
169 की रिपोर्ट देगी कोर्ट में पुलिस अधिकारी के मुताबिक शुक्रवार को 169 की रिपोर्ट को लेकर विधिक राय ली गई। पुलिस ने यह जानकारी ली कि कोर्ट में 169 की रिपोर्ट दाखिल करने पर अदालत उसमें सम्भवता किस प्रकार के सवाल जवाब कर सकती है।
वीडियो फुटेज बना बड़ा आधार
चिह्नित छह लोगों के परिजनों ने पुलिस के सामने मजबूत साक्ष्य दिए। वीडियो फुटेज सबसे मजबूत सबूत माना जा रहा है। परिजनों ने यह साबित कर दिया कि वह लोग घटनास्थल पर हिंसा के दौरान मौजूद ही नहीं थे। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठ रहा कि आखिरकार पुलिस ने उन्हें किन सबूतों के आधार पर जेल भेज दिया था।