वॉयस ऑफ़ ए टू जेड न्यूज़:-रामनगर को नगर निगम में शामिल किए जाने के बाद अब इन चर्चाओं को विराम लग गया है कि नगर निगम काशिराज परिवार से टैक्स लेगा या नहीं। बताया जा रहा है कि काशिराज परिवार को अब तक कुछ विशेषाधिकार हासिल हैंं।
काशिराज परिवार से नगर निगम टैक्स नहीं ले सकता। वाराणसी के रामनगर को हाल ही में नगर निगम सीमा में शामिल किया गया और इसके साथ ही काशिराज परिवार से गृहकर, जलकर, सीवरकर लेने की चर्चा शुरू हो गई थी। लेकिन अब साफ हो गया है कि विलय के दौरान ही काशिराज परिवार को इन करों से छूट मिल चुकी है। नगर निगम प्रशासन काशिराज परिवार से किसी तरह का टैक्स नहीं वसूल सकता। दरअसल, 5 सितंबर 1949 को भारत संघ में काशी के राजवंश के विलय के समझौते के बाद मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट्स (गृह मंत्रालय) के तत्कालीन सलाहकार वी.पी. मेनन ने महाराजा बनारस विभूति नारायण सिंह को संबोधित कर लिखे एक पत्र में 20 बिंदुओें के आधार पर काशिराज परिवार को कुछ विशेषाधिकार और सुविधाओं का जिक्र किया था। ये विशेषाधिकार और सुविधाएं आज भी कायम हैं। इस पत्र में लिखा था- 'प्रिय महाराजा साहेब, काशी राजवंश के भारत संघ में विलय के समझौते के बाद भारत सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर मैं यह विश्वास दिलाता हूं कि राज परिवार की संपत्ति को नगर निकाय के टैक्स से छूट होगी। यदि भविष्य में बनारस का नाम काशी पड़ेगा तो महाराजा बनारस की उपाधि बदलकर महाराजा काशी हो जाएगी। किसी भी सार्वजनिक समारोह में बनारस डिवीजन के कमिश्नर या अन्य किसी अधिकारी पर काशी के महाराजा की प्रधानता होगी।' राजघाट स्थित वसंत महिला कॉलेज में इतिहास विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. श्रेया पाठक के मुताबिक विलय के दौरान हुई संधि में सरकार ने जो विशेषाधिकार काशिराज परिवार को दिये थे, वे अब तक लागू हैं। इससे राज परिवार पर किसी तरह का टैक्स नहीं लगाया जा सकता है। डॉ़. पाठक ने कहा कि काशिराज परिवार पर आर्म्स ऐक्ट भी लागू नहीं होता।
रामनगर में हुआ था समारोह
रामनगर के परेड ग्राउंड में 15 अक्तूबर 1949 को एक समारोह हुआ था। इसमें तिरंगा फहराया गया था। इसमें महाराज विभूति नारायण सिंह ने काशीवासियों को संबोधित कर विलय की जानकारी दी थी।
काशी राजवंश का यहां तक था विस्तार
काशी राजवंश में 96 परगने थे। इसमें बनारस, भदोही, चुनार, गाजीपुर शामिल था। 391.6 वर्गमील में भदोही परगना, 473.9 वर्गमील में केरा मंगरोर (चकिया क्षेत्र), रामनगर किला व आसपास के 233 एकड़ क्षेत्र शामिल थे। उल्लेखनीय है कि एक वर्गमील 640 एकड़ के बराबर होता है। 6 अगस्त 1919 को तत्कालीन वायसराय चेम्सफोर्ड ने 3198.02 एकड़ अतिरिक्त क्षेत्र दे दिए थे। इसमें बाजिदपुर, कोदूपुर, कुतलूपुर, राल्हूपुर खास, सुलतानपुर शामिल थे। सरकार के गजेटियर के अनुसार 24 मई 1956 को बनारस का आधिकारिक नाम वाराणसी किया गया
ये विशेषाधिकार मिले हैं
1. महाराजा बनारस अथवा परिवार के सदस्यों को रामलीला के दौरान या दर्शन पूजन के लिए प्रशासन की ओर से पुलिस की सुरक्षा और प्रोटोकॉल दिया जाएगा।
2. निजी संपत्ति का अधिग्रहण राज परिवार की सहमति से ही होगा।
3. ट्रेन में राज परिवार के लिए रेलवे अलग सैलून की व्यवस्था करेगा।
4. विदेश जाने पर प्रशासन की ओर से जिम्मेदार अधिकारी साथ जाएंगे।
5. राज परिवार को भविष्य में सभी प्रकार के विशेषाधिकार, सुविधाएं देने की गारंटी दी है।