वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:-तिहाड़ प्रशासन ने दिल्ली की तिहाड़, मंडोली और रोहिणी जेल में चेकिंग कराई। इस दौरान 40 दिन में 348 मोबाइल फोन बरामद किए गए। तिहाड़ प्रशासन के एक अधिकारी ने दावा किया है कि ज्यादातर मोबाइल फोन जेलों में बंद गैंगस्टर व सिफारिशी कैदियों के कब्जे से मिले हैं।
दिल्ली की जेलों में बंद नामी गैंगस्टर जेलों में खूब मोबाइल चला रहे है और जेल से ही अपने गिरोह को चलाने के अलावा रंगदारी भी वसूल कर रहे थे। ये खुलासा उस समय हुआ है जब तिहाड़ प्रशासन ने तिहाड़, मंडोली व रोहिणी जेल में चेकिंग कराई। इस दौरान 40 दिन में 348 मोबाइल फोन बरामद किए गए।
तिहाड़ प्रशासन के एक अधिकारी ने दावा किया है कि ज्यादातर मोबाइल फोन जेलों में बंद गैंगस्टर व सिफारिशी कैदियों के कब्जे से मिले हैं। तिहाड़ प्रशासन ने इन मोबाइल फोन को जांच के लिए दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल व देश के खुफिया विभाग को सौंप दिया है।
स्पेशल सेल ने इन मोबाइल पर जांच शुरू कर दी है। ये पता किया जा रहा है कि गैंगस्टर कहां-कहां फोन कर रहे थे और किस-किस कारोबारी से रंगदारी मांगी गई है। एक अधिकारी ने तो ये भी दावा किया कि तिहाड़ से देश से बाहर भी कॉल की जा रही थीं।
स्पेशल सेल के एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस मामले में गुप्त रूप से जांच की जाती है। देश से जुड़े मुद्दे को लेकर खुफिया विभाग जांच करती है। तिहाड़ के नए जेल महानिदेशक संजय बेनीवाल के पदभार संभालते ही तिहाड़ में मोबाइल चला रहे कैदियों के खिलाफ अभियान शुरू किया है।
कैदियों से 348 मोबाइल फोन के अलावा बड़ी संख्या में हीटर भी मिले हैं। अधिकारी ने बताया कि ये बरामद मोबाइल बहुत पहले ही तीनों जेलों के अंदर चले गए थे। गैंगस्टर बेहिचक मोबाइल चला रहे थे। अब टीम ने वहां के कैदियों को दूसरे कैदियों को भय दूर किया है। अब कैदी खुद ही बता रहे हैं कि कौन सा बदमाश मोबाइल चला रहा है।
रंगदारी के लिए चलाते हैं मोबाइल
जेलों में सबसे ज्यादा मोबाइल गैंगस्टर व गिरोह सरगना चलाते हैं। इनको जहां गिरोह को चलाने के लिए कारोबारियों व व्यवसायियों से रंगदारी मांगनी होती है, वहीं गिरोह भी चलाना होता है। जेलों में सबसे ज्यादा फोन इस उद्देश्य से चलाए जा रहे थे। इसके अलावा परिवारवालों का हालचाल जानने, गर्लफ्रेंड के संपर्क में रहने के लिए भी मोबाइलों का इस्तेमाल हो रहा है।
मोबाइल मिलने पर यह मिलती है सजा
एक अधिकारी ने बताया कि मोबाइल मिलने पर कैदियों की सुविधाएं जैसे टीवी, परिजनों से बात कराने की सुविधा, खान-पान आदि की सुविधाएं कुछ समय के लिए रोक दी जाती है। ये ऐसी सुविधाएं हैं, जिनके बंद होने पर कैदी तुरंत परेशान हो जाता है। हालांकि मोबाइल मिलने पर किसी तरफ की एफआईआर नहीं होती है। इसी का कैदी फायदा उठाते हैं।
स्टाफ की पहचान की जा रही
तिहाड़ प्रशासन अधिकारियों का कहना है कि तिहाड़ स्टाफ की मिलीभगत से जेल के अंदर मोबाइल व अन्य सामान नहीं जा सकता। ऐसे में कैदियों से मिले हुए तिहाड़ स्टाफ की पहचान की जा रही है। नए जेल महानिदेशक संजय बेनीवाल ने तिहाड़ के वरिष्ठ अधिकारियों समेत कुछ स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई की है।